निगम क्षेत्र में विधायक निधि से कोई अन्य एजेंसी नहीं कर सकेगी कार्य

विधानसभा में यह संकल्प लिया गया कि कार्य आदेश के बाद 90 दिनों के अंदर कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए। इस प्रस्ताव को लेकर निगम ने पक्ष रखा है कि यह अवधि कार्य की प्रकृति पर निर्भर करता है।

By Edited By: Publish:Tue, 25 Dec 2018 09:41 PM (IST) Updated:Wed, 26 Dec 2018 12:30 PM (IST)
निगम क्षेत्र में विधायक निधि से कोई अन्य एजेंसी नहीं कर सकेगी कार्य
निगम क्षेत्र में विधायक निधि से कोई अन्य एजेंसी नहीं कर सकेगी कार्य

दिल्ली, जेएनएन। निगम क्षेत्र में विधायक निधि से कोई अन्य एजेंसी काम नहीं कर सकेगी। दिल्ली विधानसभा द्वारा इस संबंध में पास किए गए प्रस्ताव को पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने नामंजूर कर दिया है। इसके साथ ही विधायक निधि के कार्यो के लिए समय सीमा तय करने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया गया है। हालांकि इस संबंध में विधानसभा की ओर से पारित कई अन्य प्रस्तावों को स्वीकार किया गया है।

13 अप्रैल को पास हुआ था प्रस्‍ताव
विधायक निधि के कार्यो के निष्पादन में तेजी लाने के लिए गत 13 अप्रैल को दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया था। इस प्रस्ताव में नौ सिफारिशें थीं। इन प्रस्तावों को पूर्वी निगम के सदन में पेश किया गया। विधानसभा के प्रस्ताव के अनुसार बोली खोले जाने के 14 दिनों के अंदर कार्य आदेश हो जाना चाहिए, लेकिन निगम ने इस अवधि को अपर्याप्त बताया है।

90 दिनों में पूरा हो काम
इसके अलावा विधानसभा में यह संकल्प लिया गया कि कार्य आदेश के बाद 90 दिनों के अंदर कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए। इस प्रस्ताव को लेकर निगम ने पक्ष रखा है कि यह अवधि कार्य की प्रकृति पर निर्भर करता है। सभी कार्यो के लिए एक अवधि विशेष तय नहीं की जा सकती है। निगम से संबंधित कार्यो को किसी अन्य एजेंसी से कराने के प्रस्ताव को पूर्वी निगम ने खारिज कर दिया है।

15 दिनों में प्रमाणपत्र का प्रस्‍ताव नामंजूर
विधानसभा के प्रस्ताव में कहा गया था कि निगम क्षेत्र में कार्य करने का जिम्मा किसी अन्य एजेंसी को दी जाती है, तो उसे अनापत्ति प्रमाण पत्र 15 दिनों के अंदर दे देना चाहिए। निगम ने इस प्रस्ताव को नामंजूर किया है। निगम का कहना है कि निगम के भवनों व सड़कों आदि के रखरखाव की जिम्मेदारी उनकी है। निगम के क्षेत्राधिकार के अंदर किसी अन्य एजेंसी को काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। निगम के पास विशेषज्ञता और आधारभूत संरचना है, ऐसी स्थिति में विधानसभा में निगम के कामकाज को लेकर लाए गए प्रस्ताव को लागू नहीं किया जा सकता है। निगम के इस पक्ष को अब दिल्ली सरकार के पास भेजा जाएगा।

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