Coronavirus News Update: डॉक्टर बोले कोरोना से बचने के लिए करो योग, IMA ने बता दिया धोखा

Coronavirus News Update कोविड केयर सेंटरों में डॉक्टरों की सलाह पर मरीजों को योग कराया भी जाता है। क्योंकि तनाव व घबराहट से कई कोरोना पीड़ितों की बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है। पहले कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि योग तनाव दूर करने में असरदार है।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 14 Oct 2020 01:38 PM (IST) Updated:Wed, 14 Oct 2020 01:38 PM (IST)
Coronavirus News Update: डॉक्टर बोले कोरोना से बचने के लिए करो योग, IMA ने बता दिया धोखा
कोरोना से लड़ाई में कारगर योगाभ्यास की सांकेतिक तस्वीरें।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। Coronavirus News Update: एलोपैथी के डॉक्टर हों या आयुष के, कोरोना के हल्के संक्रमण व बगैर लक्षण वाले मरीजों को योग करने की सलाह देते रहे हैं। खास तौर पर सांस से जुड़े योग व व्यायाम को वे उपयोगी बताते हैं। कोविड केयर सेंटरों में डॉक्टरों की सलाह पर मरीजों को योग कराया भी जाता है। क्योंकि तनाव व घबराहट से कई कोरोना पीड़ितों की बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है। पहले कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि योग तनाव दूर करने में असरदार है। लेकिन, पिछले दिनों जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आयुर्वेद व योग से हल्के संक्रमण व बगैर लक्षण वाले पीड़ितों के इलाज के लिए प्रोटोकॉल जारी किया तो यह बात एलोपैथी के डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के गले नहीं उतरी। एसोसिएशन ने स्वस्थ्य मंत्री के बयान पर तो तीखे सवाल उठाए ही, उसे जनता के साथ धोखा भी बता दिया।

विवाद नहीं एकजुटता का वक्त

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा आयुर्वेद व योग से इलाज का प्रोटोकॉल जारी करने के बाद आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) व आयुष के डॉक्टरों के संगठन इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) एक दूसरे के आमने-सामने आए। आइएमए ने इस पर नाखुशी जाहिर की तो इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन ने खुशी प्रकट की। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आरपी परासर ने एक कदम आगे बढ़ते हुए यह भी कह दिया कि प्रोटोकॉल जारी होने से कोरोना के इलाज को एक नई दिशा मिलेगी। एसोसिएशन ने आइएमए पर पलटवार करते हुए पूछा कि कोरोना के इलाज में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहीं महंगी अग्रेंजी दवाएं क्या डबल ब्लाइंड क्लीनिकल ट्रायल और उसकी सफलता के बाद इस्तेमाल हो रही हैं? यदि आयुष में कोरोना का प्रमाणित इलाज नहीं है तो अभी यही हाल अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति (एलोपैथी) का है। इसलिए मौजूदा वक्त आपसी विवाद में उलझने का नहीं है, बल्कि एकजुट होकर कोरोना को हराने का है।

सियासत में पिस रहे कोरोना योद्धा

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों के डॉक्टरों व कर्मचारियों के वेतन के मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है। नगर निगम की सत्ता में काबिज भाजपा के नेता दिल्ली सरकार पर फंड नहीं देने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने पिछले दिनों भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया। लेकिन, इस सियासत के बीच में वे कोरोना योद्धा पिस रहे हैं, जो कई माह से वेतन न मिलने पर भी मरीजों की सेवा में जुटे रहे। हालांकि, अब उनका सब्र टूटता जा रहा है। फोर्डा (फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) के आह्वान पर केंद्र व दिल्ली सरकार के अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर भी काली पट्टी बांधकर उनके समर्थन में उतर आए हैं। फोर्डा ने तो यहां तक कह दिया कि यदि निगम अस्पतालों के डॉक्टरों को वेतन नहीं दे पा रहा है तो अस्पतालों को केंद्र या दिल्ली सरकार को सौंप दे।

दो विभागों का एक प्रमुख

एम्स में बन रहे राष्ट्रीय जेरियाटिक सेंटर को केंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है। यह देश में पहला सेंटर होगा, जहां एक छत के नीचे बुढ़ापे के हर मर्ज का इलाज होगा। लेकिन, हालात ये हैं कि बुढ़ापे के मर्ज का निदान करने वाले जेरियाटिक विभाग की ही सांसें उखड़ने लगीं। विभाग में कोई ऐसा फैकल्टी नहीं है जो विभागाध्यक्ष बन पाए। विभाग में सिर्फ तीन फैकल्टी हैं। एक अस्थायी व दो स्थायी। स्थायी फैकल्टी अभी एसोसिएट प्रोफेसर हैं, इसलिए वे विभागाध्यक्ष के लिए जरूरी मानदंड पूरा नहीं करते। लिहाजा, मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. नवीत विग को जेरियाटिक की भी कमान सौंप दी गई। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि जेरियाटिक मेडिसिन भी मेडिसिन विभाग की उपज है, इसलिए इलाज पर असर नहीं पड़ेगा। फिलहाल, दो विभागों का एक ही प्रमुख वाला फॉमरूला कितना कारगर होगा और कब तक चलेगा अब ये देखने वाली बात है।

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