आखिर क्यों दिल्ली के निजी अस्पतालों में बढ़ी टीबी मरीजों की संख्या

राजधानी के निजी अस्पतालों में पिछले साल के मुकाबले इस साल टीबी से पीड़ित दोगुना मरीज दर्ज किए गए हैं।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Sun, 20 Oct 2019 08:47 AM (IST) Updated:Sun, 20 Oct 2019 08:47 AM (IST)
आखिर क्यों दिल्ली के निजी अस्पतालों में बढ़ी टीबी मरीजों की संख्या
आखिर क्यों दिल्ली के निजी अस्पतालों में बढ़ी टीबी मरीजों की संख्या

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। इसे टीबी नियंत्रण कार्यक्रम का असर कह लें या राजधानी में टीबी का बढ़ता संक्रमण। कारण चाहे जो भी हो, राजधानी के निजी अस्पतालों में पिछले साल के मुकाबले इस साल टीबी से पीड़ित दोगुना मरीज दर्ज किए गए हैं। निजी अस्पताल इस साल अब तक टीबी से पीड़ित 21,576 मरीज पंजीकृत कर चुके हैं। साल खत्म होने तक टीबी मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। टीबी कार्यक्रम से जुड़े अधिकारी इसे टीबी की रोकथाम के लिए सकारात्मक नजरिये से देख रहे हैं।

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अतिरिक्त निदेशक व टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. अश्वनी खन्ना ने कहा कि निजी अस्पताल पहले टीबी के मरीजों की सूचना नहीं देते थे। इसलिए निजी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीज टीबी का इलाज पूरा कराते थे या बीच में अधूरा छोड़ देते थे, यह पता नहीं चल पा रहा था। अब निजी अस्पतालों ने मरीजों का पंजीकरण शुरू कर दिया है, ऐसे में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के कर्मचारी भी उन टीबी मरीजों के संपर्क में रहेंगे। इससे उन मरीजों का इलाज सुनिश्चित हो सकेगा। इसके अलावा निजी अस्पतालों को यह स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जरूरतमंद मरीजों को दवाएं व जांच नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएं।

टीबी के अब तक 85,159 मामले आए सामने

दिल्ली में टीबी के अब तक 85,159 मामले सामने आए हैं। इसमें से 63,583 मामले सरकारी अस्पतालों व 21,576 मामले निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने पंजीकृत किया है। जबकि पिछले साल निजी अस्पतालों ने 10,322 मरीजों की सूचना सरकार को दी थी। वहीं वर्ष 2017 में निजी अस्पतालों ने सिर्फ 2033 मरीजों को पंजीकृत किया था। इस साल निजी अस्पतालों को 20,000 टीबी मरीजों को पंजीकृत कर सरकार को सूचित करने का लक्ष्य दिया गया था। वे इस निर्धारित लक्ष्य से अधिक पंजीकरण करा चुके हैं।

प्रति मरीज निजी डॉक्टरों को 500 रुपये भुगतान

केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। दिक्कत यह है कि देश में टीबी के लाखों मरीजों का पता नहीं चल पाता। यही वजह है कि टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में बदलाव कर टीबी मरीजों को पंजीकृत करने पर निजी डॉक्टरों को प्रति मरीज 500 रुपये देने का प्रावधान किया गया है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय लेखी ने कहा इस कारण निजी अस्पतालों के डॉक्टर टीबी मरीजों का पंजीकरण अधिक करने लगे हैं।

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