Delhi News: सीबीआइ ने बहस के दौरान कहा- दोषी को उम्र नहीं कानून के आधार पर दी जाए अपराध की सजा

दोषी ठहराए गए पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने उम्र व दिव्यांगता के आधार पर सजा में रियायत देने की मांग की

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 26 May 2022 06:23 PM (IST) Updated:Thu, 26 May 2022 06:23 PM (IST)
Delhi News: सीबीआइ ने बहस के दौरान कहा- दोषी को उम्र नहीं कानून के आधार पर दी जाए अपराध की सजा
आय से अधिक संपत्ति मामले में सजा पर बहस के दौरान सीबीआइ ने दी दलील।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आय से अधिक संपत्ति मामले में उम्र व दिव्यांगता के आधार पर सजा में रियायत देने की हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की दलील का सीबीआइ ने अदालत में विरोध किया। सीबीआइ विशेष न्यायाधीश विकास ढल के समक्ष सजा पर बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि दोषी को उम्र नहीं कानून के आधार पर अपराध की सजा दी जाए। अभियोजन ने दलील दी कि कानून में उम्र सजा तय करने का आधार नहीं है।

अभियोजन पक्ष ने उक्त दलील चौटाला की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता के बयान पर दिया। कम सजा देने की पैरवी करते हुए चौटाला के अधिवक्ता हर्ष कुमार शर्मा ने कहा कि उनके मुवक्किल 90 प्रतिशत तक दिव्यांग हैं। वह अपने कपड़े भी खुद नहीं पहन पाते हैं। ऐसे में उन्हें ज्यादा समय के लिए जेल में रखना ठीक नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अंतिम जिरह के लिए सुनवाई शुक्रवार दोपहर दो बजेे तक के लिए स्थगित कर दी।संभावना है कि अदालत शुक्रवार को जिरह के बाद अपना निर्णय सुना सकती है।

जन नेता है चौटाला, रियायत से जनता को जाएगा गलत संदेश-सीबीआइ

सीबीआइ की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अजय गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य का हवाला देकर सजा कम करने की मांग नहीं की जा सकती है। उन्होंने दलील दी कि भ्रष्टाचार एक गंभीर अपराध है और देश में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कानून के मुताबिक सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि लोगों के लिए यह सबक बने।

अजय गुप्ता ने कहा कि चौटाला एक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। लोग मानते हैं कि अगर राजनेता ही इस प्रकार के भ्रष्टाचार करेंगे तो समाज में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। चौटाला के परिवार के सभी सदस्य सक्षम हैं और उन पर कोई भी आश्रित नहीं है।अदालत को इस मामले में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए।

जेल में अच्छा रहा व्यवहार, सजा में दी जाए रियायत: चौटाला

अदालत में चौटाला की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने दलील दी कि चौटाला वर्ष 1993-2006 के दौरान आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के दोषी ठहराए गए हैं। चौटाला का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है और वे 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं। चौटाला ने हमेशा जांच में सहयोग किया है और शिक्षक भर्ती मामले में सजा काटने के दौरान जेल में उनका व्यवहार अच्छा रहा है। चौटाला ने जेल में ही 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की।ऐसे में सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उनकी सजा में रियायत दी जाए।

यह है मामला

वर्ष 1993 और 2006 के बीच सात बार के विधायक रहे चौटाला ने आय से दोगुनी संपत्ति अर्जित की थी। इस मामले में साल 2006 में मुकदमा दर्ज किया गया था। वर्ष 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत नई दिल्ली, पंचकुला और सिरसा में उनके फ्लैट और भूखंडों सहित 3.68 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी और मुकदमा दर्ज किया था।मामले में लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने 21 मई को चौटाला को दोषी करार दिया था।

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