दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने की मांग

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिवंगत पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। केजरीवाल ने पत्र में लिखा कि हम इस साल आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 02:16 PM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 02:16 PM (IST)
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने की मांग
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने लिखा पीएम मोदी को पत्र

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर प्रख्यात पर्यावरणविद स्व. सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न से सम्मानित करने का अनुरोध किया है। सीएम ने कहा कि जिस समय पर्यावरण संरक्षण का भाव अंतरराष्ट्रीय विमर्श में भी नहीं था, उस समय स्व. सुंदरलाल बहुगुणा ने समूचे विश्व पर आने वाले खतरे को भांपते हुए स्वयं को पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। उनके द्वारा शुरू किया गया चिपको आंदोलन उत्तर भारत में हिमालय से शुरू होकर दक्षिण में कर्नाटक तक पहुंचा।

सीएम ने कहा कि हमने दिल्ली विधानसभा में स्व. सुंदरलाल बहुगुणा की तस्वीर लगवाई है, ताकि उनका जीवन और उनके द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के लिए शुरू किया गया यज्ञ, दिल्ली के नीति नियंत्रण के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन करता रहे। दिल्ली सरकार की ओर से मेरा अनुरोध है कि स्व. सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया जाए। स्व. सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न प्रदान करने से इस सम्मान का ही सम्मान होगा।

अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में लिखा है कि उत्तराखंड के निवासी और चिपको आंदोलन के लिए मशहूर पर्यावरणविद स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा राष्ट्र निर्माण में दिए गए योगदान से तो आप परिचित ही हैं। स्व. सुंदरलाल बहुगुणा ने अपनी 94 वर्ष की यात्रा इसी वर्ष 21 मई, 2021 को अंतिम सांस लेते हुए पूर्ण की। उनका पूरा जीवन देश व समाज के लिए और मानवता की भलाई के लिए इतने कार्यों से भरा हुआ है कि हम कभी भी उस से उष्ण नहीं हो सकते।

पत्र में आगे लिखा है कि इस वर्ष हम देश की आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। स्व. सुंदरलाल बहुगुणा ने अपना बचपन महात्मा गांधी की प्रेरणा से स्वतंत्रता संग्राम में देश को आजाद करने के लिए लड़ते हुए बिताया। आजादी के बाद वे संत विनोबा भावे की प्रेरणा से भूदान और ग्राम स्वराज योजना के कार्यक्रमों में लग गए। जिस समय दुनिया आंख बंद करके पर्यावरण के शोषण में लगी थी और पर्यावरण संरक्षण का भाव अंतरराष्ट्रीय विमर्श में भी नहीं था, उस समय उन्होंने राष्ट्र और समूचे विश्व पर आने वाले खतरे को भांपते हुए स्वयं को पर्यावरण की रक्षा के यज्ञ के लिए समर्पित कर दिया। मां ने संदेश दिया कि मनुष्य प्रकृति को अपने निजी संपत्ति मानने की भूल कर बैठा है और इसके अंधाधुंध दोहन की वजह से संसार में अनेक विसंगतियां और समस्याएं उत्पन्न होने जा रही है। उनके द्वारा शुरू किया गया चिपको आंदोलन उत्तर भारत में हिमालय से शुरू होकर दक्षिण में कर्नाटक तक पहुंच गया।

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