इलाज में लापरवाही बरतने पर 5 डॉक्टरों को कोर्ट ने भेजा समन, 3 महीने नहीं कर पाएंगे प्रैक्टिस

कड़कड़डूमा कोर्ट ने पांच डॉक्टरों को नवजात शिशु (19 माह) के इलाज में लापरवाही बरतने पर समन भेजा है।

By Edited By: Publish:Tue, 27 Aug 2019 10:03 PM (IST) Updated:Tue, 27 Aug 2019 10:22 PM (IST)
इलाज में लापरवाही बरतने पर 5 डॉक्टरों को कोर्ट ने भेजा समन, 3 महीने नहीं कर पाएंगे प्रैक्टिस
इलाज में लापरवाही बरतने पर 5 डॉक्टरों को कोर्ट ने भेजा समन, 3 महीने नहीं कर पाएंगे प्रैक्टिस

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने पांच डॉक्टरों को एक बच्चे (19 माह) के इलाज में लापरवाही बरतने पर समन भेजा है। अदालत ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) को भी पांचों आरोपितों के नाम तीन महीने के लिए उनके रजिस्टर से हटाने का आदेश दिया है। इस दौरान ये सभी डॉक्टर मरीज का इलाज नहीं कर पाएंगे।

अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी अनुज अग्रवाल ने दो अलग-अलग निजी अस्पतालों के चार डॉक्टरों और एक चिकित्सा अधीक्षक को इलाज में लापरवाही बरतने के लिए दोषी ठहराया है। शिकायतकर्ता रेणु त्यागी ने गांधी नगर के जैन धर्मार्थ ट्रस्ट अस्पताल के डॉ. ओम प्रकाश व राकेश त्यागी और प्रीत विहार के तनेजा अस्पताल के डॉ. राकेश कुमार जैन, शेफाली चौहान व चिकित्सा अधीक्षक पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।

उन्होंने कोर्ट में यह भी दावा किया कि डॉक्टरों ने इलाज के दौरान उनसे मोटी रकम भी वसूली, इसके बावजूद ठीक से इलाज नहीं किया, जिससे उनके बच्चे की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस अधिकारियों ने भी अपना काम ईमानदारी से नहीं किया, इसके लिए कोर्ट ने पूर्वी जिला पुलिस उपायुक्त को इस मामले में दोषी अधिकारियों पर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

शिकायतकर्ता के अनुसार, उनके बच्चे को 28 नवंबर 2012 को गांधी नगर स्थित जैन धर्मार्थ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उचित इलाज न मिलने पर अस्पताल प्रशासन ने बच्चे को प्रीत विहार स्थित तनेजा अस्पताल स्थानांतरित करने की बात कही। अगले दिन बच्चे को तनेजा अस्पताल में भर्ती कराया गया, वहां उपचार के दौरान बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी।

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रेणु त्यागी ने बताया कि अस्पताल ने उनसे साढ़े तीन लाख रुपये भी लिए। उन्होंने बताया कि जब वह बच्चे को आइसीयू में देखने गई तो उनके बच्चे के चेहरे पर चीटियां घूम रही थीं। इस संबंध में जब उन्होंने डॉक्टरों से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारा काम इलाज करना है न की चीटियों को निकालना। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने कई बार उन्हें पैसे जमा कराने को कहा, लेकिन उन्होंने अपना काम ईमानदारी से नहीं किया। इस कारण उन्होंने बच्चे को दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया, वहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

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