Delhi: ‘नौशेरा के शेर’ ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र की सेना ने कराई मरम्मत

‘नौशेरा का शेर’ नाम से मशहूर ब्रिगेडियर उस्मान ने 50 पैराशूट रेजिमेंट की अगुवाई की थी जिसने 1948 में जम्मू-कश्मीर की दो रणनीतिक जगहें- झांगर और नौशेरा को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराया था। वह इस युद्ध में शहीद होने वाले उच्चतम रैंक वाले सैन्य अधिकारी थे।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 31 Dec 2020 01:07 PM (IST) Updated:Thu, 31 Dec 2020 01:07 PM (IST)
Delhi:  ‘नौशेरा के शेर’ ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र की सेना ने कराई मरम्मत
जामिया के कब्रिस्तान में स्थित वार हीरो ब्रिग्रेडियर उस्मान की कब्र ’ जागरण

दक्षिणी दिल्ली, जागरण संवाददाता। जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर में स्थित वार हीरो ब्रिगेडियर मुहम्मद उस्मान की बदहाल कब्र को भारतीय सेना ने मरम्मत करा दी है। सेना ने नौशेरा सेक्टर से एक सैन्यकर्मी को भेजकर कब्र की मरम्मत कराने की बात कही थी। साथ ही बताया गया है कि प्रतिवर्ष सेना ब्रिगेडियर उस्मान के शहीदी दिवस यानी तीन जुलाई के आसपास कब्र की मरम्मत करवाती है और माल्यार्पण कर सम्मानित किया जाता है। सेना की तरफ से कब्र की दशकों से देखरेख की जा रही है। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते शहीदी दिवस पर माल्यार्पण व वार्षिक देखरेख नहीं की जा सकी थी।

बुधवार को दोपहर बाद से जामिया प्रशासन की मदद से सैन्यकर्मी ने कब्र की मरम्मत शुरू करा दी थी। इससे पहले इंटरनेट मीडिया पर कब्र के पत्थर टूटने की फोटो वायरल होने के बाद से कब्र की बदहाली की चर्चा हो रही थी। इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित वीडियो में आरोप लगाया जा रहा है कि ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र को कुछ शरारती तत्वों ने जानबूझकर तोड़ा है। इसके अलावा इस तरह के वीडियो इस मामले को सांप्रदायिक दृष्टिकोण से भी पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।

वायरल वीडियो के हवाले से कब्र के साथ तोड़फोड़ की शिकायत मिलने पर स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच भी की है। स्थानीय पुलिस और जामिया प्रशासन ने तोड़फोड़ के आरोपों का खंडन किया है। जामिया प्रशासन ने इस मामले में स्पष्ट किया कि कब्र पर कोई तोड़फोड़ नहीं हुई है। सिर्फ देखरेख के अभाव में कब्र जर्जर हो गई है। साथ ही जामिया की तरफ से बताया गया कि कब्र उनके क्षेत्र में आती है, लेकिन उसकी देखरेख की जिम्मेदारी संबंधित परिवार या इस विशेष मामले में सेना स्वयं करती है। उनकी जिम्मेदारी केवल कब्रिस्तान की साफ-सफाई और व्यवस्था की है।

‘नौशेरा का शेर’ नाम से मशहूर ब्रिगेडियर उस्मान ने 50 पैराशूट रेजिमेंट की अगुवाई की थी जिसने 1948 में जम्मू-कश्मीर की दो रणनीतिक जगहें- झांगर और नौशेरा को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराया था। वह इस युद्ध में शहीद होने वाले उच्चतम रैंक वाले सैन्य अधिकारी थे। उनकी अंतिम यात्रा में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हुए थे। 

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