डेंगू, चिकनगुनिया के लिए पिछले साल के मुकाबले आधे बेड ही किए गए आरक्षित

पिछले साल डेंगू व चिकनगुनिया के मरीजों के लिए 1000 बेड आरक्षित थे। इस बार 500 बेड आरक्षित किए गए हैं। इस बार डेंगू का प्रकोप कम रहने की उम्मीद है।

By Amit SinghEdited By: Publish:Mon, 20 Aug 2018 05:03 PM (IST) Updated:Mon, 20 Aug 2018 05:03 PM (IST)
डेंगू, चिकनगुनिया के लिए पिछले साल के मुकाबले आधे बेड ही किए गए आरक्षित
डेंगू, चिकनगुनिया के लिए पिछले साल के मुकाबले आधे बेड ही किए गए आरक्षित

नई दिल्ली (जेएनएन)। डेंगू से इस साल पहली मौत का मामला सामने आने के बावजूद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के अधिकारी व डॉक्टर कह रहे हैं कि इस वर्ष मच्छर जनित बीमारियों का संक्रमण कम है। खासतौर पर डेंगू का संक्रमण इस बार पिछले चार सालों में सबसे कम है। पिछले साल के मुकाबले डेंगू व चिकनगुनिया के मामले आधे से भी कम देखे जा रहे हैं।

नगर निगम के आंकड़े इस तरफ ही इशारा कर रहे हैं। इसलिए डेंगू व चिकनगुनिया के इलाज के लिए इस बार पिछले साल के मुकाबले कम 35 अस्पतालों में 500 बेड आरक्षित किए गए हैं। महानिदेशालय के अतिरिक्त महानिदेशक व राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. एसएम रहेजा ने कहा कि इस बार डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया का संक्रमण बहुत कम है। इसलिए अस्पतालों में इलाज के लिए बेड भी जरूरत के मुताबिक ही आरक्षित किए गए हैं। यहां 35 सरकारी अस्पतालों में डेंगू व चिकनगुनिया के इलाज व जांच की सुविधा है। उन अस्पतालों में 500 बेड आरक्षित किए गए हैं।

पिछले साल एक हजार बेड आरक्षित किए गए थे। उन्होंने कहा कि बेवजह बेड आरक्षित करने से दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज व सर्जरी प्रभावित होती है। इसलिए सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में इलाज व जांच की सुविधा की गई है। सभी अस्पतालों में जांच किट व दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं। जरूरत पड़ने पर बेड बढ़ाए भी जा सकते हैं। मजेदार बात यह है कि महानिदेशालय ने निजी अस्पतालों को डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया के इलाज के लिए 10-20 फीसद अतिरिक्त बेड बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

स्कूलों में नहीं जारी किया गया अलर्ट

डेंगू व चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ने पर हर साल स्कूलों को अलर्ट किया जाता है और छात्रों को पूरे बाजू के कपड़े पहनकर स्कूल जाने का निर्देश दिया जाता है। इस बार अब तक ऐसा नहीं किया गया है। पिछले सालों के मुकाबले इस बार इन बीमारियों के मामले भले कम आए हैं पर पिछले कुछ समय से अस्पतालों में डेंगू व चिकनगुनिया के मामले बढ़े हैं। खासतौर पर डेंगू से एक मरीज की मौत का मामला सामने आने के बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि स्कूलों को निर्देश जारी करने में देरी क्यों की जा रही है, क्या सरकारी महकमें छात्रों के डेंगू व चिकनगुनिया से पीड़ित होने का इंतजार कर रहे हैं।

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