उपचुनावः जानिये- पंजाब में मिली हार को भूल केजरीवाल ने ट्वीट से मोदी पर क्यों साधा निशाना
राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि हारी तो भाजपा गोरखपुर और फूलपुर में भी थी, लेकिन तब केजरीवाल ने इतना मुखर होकर भाजपा पर हमला नहीं बोला था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। जब आईना झूठ बोलता हो तो कहा जाता है कि कोई भी शख्स अपना चेहरा अपनी आंखों से नहीं देख सकता है। इसी तरह शख्स अपनी खामियों को भी नहीं पहचान पाता। यह बात फिलहाल अरविंद केजरीवाल पर सही फिट बैठ रही है। देशभर में हुए उपचुनाव में भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं रही, लेकिन आम आदमी पार्टी की गत तो सबसे बुरी रही। पंजाब के शाहकोट विधानसभा उपचुनाव में तो AAP उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सका। बावजूद इसके उपचुनाव के नतीजे आते ही केजरीवाल ने सबसे पहले भाजपा पर निशाना साधा।
पीएम मोदी के खिलाफ लोगों में गुस्सा
उपचुनावों में भाजपा की हार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे मोदी के खिलाफ जनता का गुस्सा बताया है। आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल ने यह भी कहा कि जनता अब उन्हें हटाना चाहती है। केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को टवीट किया कि, आज के परिणाम दर्शाते हैं कि जनता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ बहुत गुस्सा भरा है। अभी तक लोग पूछते थे कि मोदी का विकल्प कौन होगा, लेकिन इन उपचुनावों के नतीजे बताते हैं कि जनता उन्हें हटाना चाहती है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में कैराना और महाराष्ट्र में भंडारा गोंडिया लोकसभा क्षेत्र से भाजपा को इन उपचुनावों में शिकस्त मिली है।
बताया जा रहा है कि केजरीवाल पंजाब में अपने प्रत्याशी की हार से दुखी कम और भाजपा की शिकस्त से खुश ज्यादा हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि अरविंद केजरीवाल इन दिनों कई तरह के संकट में घिरे हैं। आम आदमी पार्टी के ज्यादातर विधायक दागी के रूप में है तो उनके मंत्री भी विभिन्न मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा पर हमला केजरीवाल की भड़ास के रूप में देखा जा रहा है।
तबस्सुम से AAP का लिंक
राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि हारी तो भाजपा गोरखपुर और फूलपुर में भी थी, लेकिन तब केजरीवाल ने इतना मुखर होकर भाजपा पर हमला नहीं बोला था। इसके पीछे असली वजह यह है कि कैराना के लोकसभा उपचुनाव में AAP ने भी अपना समर्थन विपक्ष की प्रत्याशी तबस्सुम हसन को दिया था। ऐसे में केजरीवाल का यह हमला स्वाभाविक है।
भाजपा के मुश्किल होगा 2019 का चुनाव
वहीं, गोरखपुर व फूलपुर के बाद कैराना संसदीय सीट और नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी को मिली पराजय से गठबंधन की सियासत को पंख लगने की उम्मीद जगी है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने गठबंधन के इस प्रयोग को वर्ष 2019 में भी आजमाने के संकेत दिये हैं। कांग्रेस गठबंधन को लेकर भले ही मौन हो परंतु बसपा सम्मानजनक सीटें मिलने पर महागठजोड़ में साथ आने के लिए तैयार है। गठबंधन प्रयोग परवान चढ़ेगा तो वर्ष 2019 में भाजपा के लिए वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव का इतिहास दोहराना आसान न होगा।