वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा- राज्य बताएं कैसे लगाएंगे पराली जलाने पर लगाम

आयोग का मानना है कि वायु प्रदूषण फेफड़ों पर असर डालता है। ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर के दौरान पराली के धुएं ने हवा में जहर घोला तो स्थिति विकट हो सकती है।आयोग ने राज्यों से पराली से निपटने के लिए एक्शन प्लान जमा कराने को कहा है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Fri, 16 Jul 2021 06:45 PM (IST) Updated:Fri, 16 Jul 2021 06:56 PM (IST)
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा- राज्य बताएं कैसे लगाएंगे पराली जलाने पर लगाम
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने मांगा राज्यों से एक्शन प्लान।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने संबंधित पांचों राज्यों से पराली प्रबंधन पर पुख्ता एक्शन प्लान मांगा है। यह प्लान 31 जुलाई तक देना होगा। पहली बार इन राज्यों को चार विकल्प भी दिए गए हैं। राज्यों को अपने एक्शन प्लान में आयोग को बताना होगा कि वे इनमें कौन सा विकल्प अपनाएंगे।

सितंबर से ही एनसीआर के मौसम में बदलाव और वायु गुणवत्ता खराब होने की शुरुआत हो जाती है और अक्टूबर में पराली जलाने की घटनाएं जोर पकड़ने लगती हैं। इन सबसे निपटने की तैयारी करने के लिए दो माह का समय ही बचा है। आयोग का मानना है कि वायु प्रदूषण फेफड़ों पर असर डालता है। ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर के दौरान पराली के धुएं ने हवा में जहर घोला तो स्थिति विकट हो सकती है।

इसी के मद्देनजर आयोग ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से पराली से निपटने के लिए अपना एक्शन प्लान जमा कराने को कहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आयोग के पुनर्गठन के बाद केंद्र सरकार ने पराली प्रबंधन के नियमों में से वह प्रविधान भी हटा दिया है जिसमें पराली जलाने के दोषियों पर भारी जुर्माना लगाने और जेल भेजने का नियम था। ऐसे में अब इस समस्या से निपटना चुनौतीपूर्ण भी हो गया है और इसका समाधान करने के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाना भी बाध्यता बन गया है। विडंबना यह कि अभी तक पराली के प्रबंधन में सभी राज्य विफल ही साबित हुए हैं।

ये विकल्प सुझाए

1. बायो डिकंपोजर का पराली के ऊपर छिड़काव।

2. पराली को जमीन के नीचे दबाकर उस पर बायो डिकंपोजर डाला जाना।

3. पराली से खाद बनाना।

4. पराली को एकत्रित कर बिजली या ईंधन बनाने के लिए विभिन्न एजेंसियों को देना।

सर्दी आने में लंबा समय नहीं रह गया है। ऐसे में कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर पराली प्रबंधन की समय रहते तैयारी भी बहुत जरूरी हो गई है। राज्यों के प्लान के आधार पर आयोग बाद में अपना केंद्रीय प्लान और दिशा- निर्देश जारी करेगा।

डा. के. जे. रमेश, तकनीकी सदस्य, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग

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