विधानसभा चुनाव में हुए दल बदल से रोमांचक होगा निगम का मुकाबला

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By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Jun 2020 08:58 PM (IST) Updated:Sat, 13 Jun 2020 08:58 PM (IST)
विधानसभा चुनाव में हुए दल बदल से रोमांचक होगा निगम का मुकाबला
विधानसभा चुनाव में हुए दल बदल से रोमांचक होगा निगम का मुकाबला

निहाल सिंह, नई दिल्ली

उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में महापौर व उप महापौर पद के चुनाव की अधिसूचना के साथ निगम में स्थायी समिति का सदस्य किस पार्टी का चुना जाएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। इसके लिए भाजपा से लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) अभी से जोड़-तोड़ के हिसाब में लग गए हैं। हालांकि फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में कई पार्षदों ने दल बदल कर लिया है, जिससे निगम के सियासी समीकरण बदल गए हैं। भाजपा आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षदों को विधानसभा चुनाव में तोड़ने में कामयाब रही। इस वजह से उत्तरी और दक्षिणी निगम में पूर्ण बहुमत होने के बाद भाजपा और भी ज्यादा मजबूत हो गई है। सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी पार्टी को हुआ है।

दरअसल, उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत होने के चलते महापौर और उप महापौर पद के प्रत्याशी का निर्विरोध चुना जाना तय है, लेकिन भाजपा की कोशिश जहां स्थायी समिति के खाली हुए तीनों पदों को पाने की होगी, वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी एक-एक सदस्य निर्वाचित कराकर सदन में भेजना चाहेगी।

उत्तरी दिल्ली नगर निगम की बात करें तो यहां पर सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी पार्टी को हुआ है। इसका नुकसान उसे अपने स्थायी समिति के सदस्य निर्वाचित कराने और वार्ड समितियों में भी चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन निर्वाचित न कराने में होगा, क्योंकि वर्ष 2017 में निगम चुनाव में 104 में आप के 21 सदस्य चुने गए थे। विधानसभा चुनाव के दौरान आप के तीन सदस्य और दो एल्डरमैन (मनोनीत सदस्य) आप का साथ छोड़ चुके हैं, वहीं चुनाव में समर्थन देने वाले बसपा के सदस्य ने विधायक बन जाने के बाद इस्तीफा दे दिया है। हालांकि आप ने कांग्रेस के दो पार्षदों को तोड़ने में भी सफलता पाई थी। आले मोहम्मद और सुल्ताना आबाद आप में शामिल हो गए थे। इसी तरह कांग्रेस के 16 सदस्य चुनकर आए थे, जिसमें अब कांग्रेस के पास 15 ही सदस्य बचे हैं। इसका नुकसान दोनों दलों को सदन से स्थायी समिति का सदस्य निर्वाचित कराने में होगा। वहीं दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की बात करें कांग्रेस को यहां सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, क्योंकि कांग्रेस के पहले 12 ही सदस्य थे। इनमें से एक आप और दो भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा पहले से मजबूत स्थिति में है। इसलिए भाजपा इस बार तीनों पदों पर दांव आजमाने की कोशिश करेगी। निगम में स्थायी समिति के सदस्य के लिए चुनाव सदस्यों की प्राथमिक राय के आधार पर होता है। सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष का होता है।

वर्ष 2017 की स्थिति

उत्तरी निगम (कुल सदस्य 104)

भाजपा- 64

आप-21

कांग्रेस-16

बसपा -1

निर्दलीय-2 दक्षिणी निगम (कुल सदस्य 104)

भाजपा- 70

आप-16

कांग्रेस-12

एसपी -1

आईएनएलडी-1

निर्दलीय-4 वर्ष 2020

उत्तरी निगम (कुल सदस्य 103)

भाजपा- 68

आप-20

कांग्रेस-15

बसपा -0

निर्दलीय-0

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दक्षिणी निगम (कुल सदस्य 104)

भाजपा- 76

आप-17

कांग्रेस-9

अन्य-2

--------------- इन सदस्यों का कार्यकाल हुआ खत्म

उत्तरी निगम

निशा मान (भाजपा)

मुकेश गोयल (कांग्रेस)

वीना विरमानी (भाजपा) दक्षिणी निगम

कमलजीत सहरावत (भाजपा)

नरेंद्र कुमार (आप)

पूनम भाटी (भाजपा)

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