दादरी कांड: क्या आप बिसाहडा गांव के इस सच को नहीं जानना चाहेंगे...पढ़ें खबर

मथुरा फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में साबित हो गया है कि इकलाख के घर से बरामद मांस बकरे का नहीं बल्कि गोवंश का ही मांस था। रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद पुलिस व प्रशासन दोनों कटघरे में खड़े हो गए।

By Amit MishraEdited By: Publish:Wed, 01 Jun 2016 04:38 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jun 2016 03:12 PM (IST)
दादरी कांड: क्या आप बिसाहडा गांव के इस सच को नहीं जानना चाहेंगे...पढ़ें खबर

नोएडा [अमित मिश्रा]। बिसाहड़ा गांव में आठ महीने पहले गोवंश मांस की अफवाह को लेकर गांव में ही रहने वाले बुजुर्ग इकलाख की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी और उसके बेटे को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। मामला बढ़ा और मांस को लेकर यह कहा गया कि इकलाख के घर से बरामद मांस बकरे का ही था। अब इस मामले में पुलिस व प्रशासन द्वारा जल्दबाजी की गई गलती भारी पड़ती दिख रही है।

बिसाहड़ा कांड को लेकर गर्माया जेएनयू का माहौल

फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में सामने आया सच

मथुरा फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में साबित हो गया है कि इकलाख के घर से बरामद मांस बकरे का नहीं बल्कि गोवंश का ही मांस था। मथुरा की फोरेंसिक रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद जिला पुलिस प्रशासन व शासन दोनों ही कटघरे में खड़े हो गए।

दादरी कांडः बिसाहड़ा गांव के शुद्धिकरण का कार्यक्रम रद, पुलिस बल तैनात

कहां हुई चूक

जिला पशुपालन विभाग ने तीसरे दिन ही अपनी रिपोर्ट में यह साबित कर दिया था कि इकलाख के घर से बरामद मांस बकरे का ही था। पुलिस ने भी कोर्ट में दाखिल अपनी चार्जशीट में कहा कि बरामद मांस बकरे था।

वकील ने की थी मांग

पीडि़तों के वकील रामशरण नागर ने कोर्ट में पुलिस की रिपोर्ट को नकार दिया था और उसने कोर्ट से मांग की थी कि मथुरा की फोरेंसिक रिपोर्ट के बाद कोर्ट इस मामले में आगे कोई सुनवाई करें। कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील रामशरण नागर की दलील पर पुलिस को मथुरा फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट जल्द कोर्ट में पेश करने का आदेश किया।

बिसाहड़ा कांड: समझौते के लिए इकलाख के परिजनों पर बनाया जा रहा है दबाव

बिसाहड़ा कांड ने बदल दिए सियासी समीकरण

कोर्ट के आदेश पर मथुरा फोरेंसिक रिपोर्ट ने मांग को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश कर दी। फोरेंसिक रिपोर्ट पर बिसाहड़ा कांड का पूरा ही समीकरण बदल दिया गया। जिस तरह बिसाहड़ा कांड को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस शुरू हुई। असहिष्णुता एक मुद्दा बन गया। इस मुददे को लेकर तमाम लेखकों व कलाकारों ने भी मोर्चा खोल दिया। सभी ने केंद्र भी भाजपा सरकार को निशाना बनाया। इसका खामियाजा केंद्र सरकार को बिहार के विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ा।

गांव पर क्या होगा असर

अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा पोर्ट को लेकर आगे की रणनीति किस तरह से तय करती है। इतना है कि मथुरा की फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद अब एक बार फिर बिसाहडा गांव में सुगबुगाहट तेज हो गई है। बिसाहडा गांव के लोगों का कहना है कि उनके बच्चों को सियासी मोहरा बनाया गया और मामलेे दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया।

बिसाहड़ा कांड : दस अप्रैल को होगी साठा चौरासी की पंचायत

फिर होगी महापंचायत

बिसाहडा गांव के लोगों को कहना है कि अब इस मुददे पर महापंचायत में चर्चा होगी। इतना ही नहीं लोगों का आरोप है कि मामले में पुलिस व प्रशासन ने एक पक्षीय कार्रवाई की है।

यूपी चुनाव में भी दिखेगा असर

बिसाहड़ा गांव में बदले समीकरणों का असर आगामी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में दिखाई पड़ सकता है। फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। गांव के लोग मानते हैं कि जिस तरह इस मामले में अफवाह के चलते इकलाख की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई और उसके बेटे को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया वह गलत था, लेकिन इसमें गांव के लोग नहीं बल्कि पुलिस व प्रशासन का रवैया गलत था।

हिंदुओं ने कराया बिसाहड़ा की मुस्लिम बेटियों का निकाह

मीडिया ने भी की गलती

बिसाहड़ा गांव के लोगों का मानना है कि इस पूरी घटना को लेकर मीडिया ने भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। एक गलती को छिपाने के लिए पुलिस, प्रशासन व मीडिया से लगातार गलतियां हुई हैं। अब जबकि सच सबके सामने है वो चुपचाप नहीं बैठेंगे।

chat bot
आपका साथी