ललिता पार्क हादसे में सिर्फ जूनियर इंजीनियर दोषी

जब हादसे होते हैं तो हर कोई सजग हो जाता है। संबंधित महकमा उस समय अत्यधिक सक्रियता दिखाता है। पूरे मामले की पड़ताल की जाती है और प्रारंभिक नजर में आने वाले दोषियों को आनन फानन में निलंबित करने और तबादला करने की कार्रवाई की जाती है और घटना की जांच बिठा दी जाती है। लेकिन घटना के

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Jul 2018 11:32 PM (IST) Updated:Wed, 18 Jul 2018 11:32 PM (IST)
ललिता पार्क हादसे में सिर्फ जूनियर इंजीनियर दोषी
ललिता पार्क हादसे में सिर्फ जूनियर इंजीनियर दोषी

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :

जब हादसे होते हैं तो हर कोई सजग हो जाता है। संबंधित महकमा उस समय अत्यधिक सक्रियता दिखाता है। पूरे मामले की पड़ताल की जाती है और प्रारंभिक नजर में आने वाले दोषियों को आनन-फानन में निलंबित करने और तबादला करने की कार्रवाई की जाती है और जांच बिठा दी जाती है। लेकिन, घटना के बाद हर कोई उसे भूल जाता है। जांच किस तरह की जाती है और किस तरह जिम्मेदार व्यक्ति को सजा दी जाती है, यह लक्ष्मीनगर के ललिता पार्क हादसे की जांच के हश्र को देखा जा सकता है। आठ साल चले जांच में सिर्फ एक जूनियर इंजीनियर को जिम्मेदार माना गया है।

ललिता पार्क में हुई दुर्घटना की गिनती देश के भीषण हादसों में की जाती है। यहां नवंबर 2010 में पांच मंजिला इमारत के गिरने से 70 लोगों की मौत हो गई थी और 77 लोग घायल हो गए थे। गलत तरीके से किए गए निर्माण की वजह से यह हादसा हुआ था। इस हादसे की नगर निगम के सतर्कता विभाग ने आठ साल तक जांच की। लेकिन, जब इसकी अंतिम रिपोर्ट आई तो सब हतप्रभ रह गए। लेकिन, निगम के अधिकारियों व नेताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इस रिपोर्ट में सिर्फ एक जूनियर इंजीनियर राजेंद्र कौशिक को जिम्मेदार माना गया कि 2005 में इस इमारत की तीसरी व चौथी मंजिल का गलत तरीके से निर्माण किया गया था और उस समय कौशिक इलाके के जूनियर इंजीनियर थे। सजा के तौर पर उसकी पेंशन राशि में से महज पांच प्रतिशत एक साल के लिए काटने के आदेश हुए। यह राशि पूरे साल की करीब 21 हजार रुपये बैठती है। निगम प्रशासन द्वारा जो सजा मुकर्रर की गई थी उसे गत 11 जुलाई को पूर्वी दिल्ली नगर निगम की नियुक्ति, पदोन्नति व अनुशासनात्मक मामलों की समिति ने भी स्वीकृति दे दी थी। इस मामले को लेकर काफी विरोध भी हुआ था और सवाल भी उठाए गए थे कि इतना बड़ा हादसा हुआ और निगम ने सिर्फ एक को ही जिम्मेदार माना। इस मसले को लेकर अभी तक निगम अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। निगम के नेताओं ने भी इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया है।

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