'आप' के खिलाफ भाजपा ने जारी की जन चार्जशीट, मांगा केजरीवाल का इस्तीफा

दिल्ली भाजपा ने सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जोरदार हमला बोला है। भाजपा ने जन चार्जशीट जारी कर सीएम के इस्तीफे की मांग की है।

By Amit MishraEdited By: Publish:Mon, 25 Jul 2016 04:02 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jul 2016 07:36 AM (IST)
'आप' के खिलाफ भाजपा ने जारी की जन चार्जशीट, मांगा केजरीवाल का इस्तीफा

नई दिल्ली [जेएनएन]। भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है। दिल्ली भाजपा ने सीएम केजरीवाल पर पांच सूत्रीय जन चार्जशीट प्रस्तुत कर कहा कि दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी की सरकार से त्रस्त हो चुकी है। भाजपा के मुताबिक जनता का कहना है कि 'बस अब और नहीं, केजरीवाल इस्तीफा दो'

जन चार्जशीट के मुख्य बिन्दु

महिलाओं पर अत्याचार

अरविंद केजरीवाल के 70 चुनावी वादों में सबसे प्रमुख वादा था महिला सुरक्षा। लेकिन सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार ने महिला सुरक्षा पर कोई ठोस कार्य नहीं किया, दिल्ली महिला आयोग को एक राजनीतिक अखाड़ा बना दिया, विधायकों की घरेलू हिंसा एवं जन समस्यायें लेकर आने वाली महिलाओं से दुव्र्यवहार के किस्से रोजमर्रा की बात बन गए हैं। स्थिति तब बेहद शर्मशार हो गई जब आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता श्रीमती सोनी को आत्महत्या करनी पड़ी। जब श्रीमती सोनी मुख्यमंत्री के पास अपनी फरियाद लेकर गईंं तो उन्हें परेशान कर रहे पार्टी नेताओं से समझौता करने को कहा गया।

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बहुत हुए झूठे वादे, फर्जीवाड़े

अरविंद केजरीवाल ने चुनाव से पूर्व दिल्ली की जनता से 70 वादे किये थे पर आज तक उनमें से एक भी पूरा नहीं किया। बिजली के दाम कम करने का जो वादा किया था उसका लाभ हो या फ्री पानी देने का सब केवल आंकड़ों का खेल बन कर रह गया है। आम नागरिक तक कोई लाभ नहीं पहुंचा है। दिल्ली सरकार ने एक दावा किया था कि हमने 11 लाख उपभोक्ताओं को पुराने गलत बिलों की अदायगी में छूट दे दी है। यह दावा फरवरी 2016 में किया गया था पर जब एक आरटीआई के माध्यम से जानकारी निकाली गई तो निकलकर आया कि पूरे बिल नहीं माफ किये गए केवल सीमित लाभ दिया गया और वह भी लगभग 2 लाख 28 हजार लोगों को। यह RTI श्री सुबोध कुमार नाम के व्यक्ति ने लगाई थी।

भाजपा का कहना है कि अरविंद केजरीवाल ने सरकार में आने से पूर्व कहा था कि हमारी सरकार गलत काम नहीं होने देगी पर सरकार के तो मंत्री-विधायक ही फर्जीवाड़ा करते पाये गए हैं। जितेन्द्र सिंह तोमर, सोमनाथ भारती एवं अन्य 'आप' नेता इसमें शामिल हैं।

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बहुत हुई अराजकता, बहुत हुआ कुशासन

चुनाव से पूर्व अरविंद केजरीवाल स्वराज की बात करते थे, सुशासन की बात करते थे, VIP कल्चर के विरोध की बात करते थे। सत्ता में आने के बाद केजरीवाल के अराजक विधायकों ने थाने में गाड़ी के प्रवेश जैसे मुद्दे पर अराजकता फैलाई तो स्वयं अरविंद केजरीवाल ने केन्द्र सरकार से ऐसा टकराव बनाया जिसके चलते भारत की संवैधानिक संघ व्यवस्था केन्द्र एवं दिल्ली सरकार के रिश्तों में चरमरा सी गई है। सुशासन की बात करने वालों के राज में सरकारी काम ठप पड़ गया है, सरकार दावे करती है कि हमारे पास अधिकारी नहीं है जबकि RTI में मिली जानकारियां बताती हैं कि सरकार के पास संवैधानिक रूप से तय अधिकारियों से भी अधिक संख्या में अधिकारी हैं।

अधिकारियों की बात तो केवल केन्द्र से टकराव के लिये इस्तेमाल होती है, केजरीवाल सरकार में काम ठप होने का एक कारण मंत्रियों के बीच में काम के बंटवारे का भी है। जहां मुख्यमंत्री पर कोई काम नहीं, चार मंत्रियों के पास न के बराबर काम है वहीं सारे प्रमुख विभाग एक ही मंत्री को देकर निर्णय व्यवस्था को ठप कर दिया गया है।

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बहुत हुआ धार्मिक उन्माद

अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पूर्व दिल्ली में अनेक जगह धार्मिक उन्माद फैलाने का प्रयास किया था, इनके विधायकों अमानतुल्लाह खान, जरनैल सिंह एवं अनेक पार्टी कार्यकर्ताओं पर धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। उर्दू अकादमी के एक सरकारी कार्यक्रम में तो विधायक अमानतुल्लाह खान ने धर्म एवं देश की सरकार दोनों पर जो शब्द कहे वह राष्ट्रद्रोह की परिभाषा के बहुत नजदीक पहुंचते हैं।

दिल्ली में 2015 से पूर्व धार्मिक स्थलों पर अनेक हमले हुए पर चुनाव के बाद यह सिलसिला शान्त हो गया, सभी का मानना रहा कि यह सब राजनीति से जुड़ा मुद्दा था पर उन्माद फैलाने में माहिर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने दिल्ली के तजुर्बे को पंजाब में भी फैलाने की कोशिश की और जब पकड़े गये तो राजनीतिक द्वेष की बात कर रहे हैं। विधायक नरेश यादव का नाम पंजाब में कुरान फाड़ने के प्रयासों से जुड़ा मिलना अरविंद केजरीवाल के भयावह चेहरे को दर्शाता है।

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बहुत हुए स्कैम, बहुत हो गया भ्रष्टाचार

पारदर्शिता, ईमानदारी की बड़ी-बड़ी बातेंं कर सत्ता में आई केजरीवाल सरकार ने चुनाव पूर्व तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार पर बड़े-बड़े आरोप लगाये थे पर चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के जहाज पर ही सवार दिख रही है।

दिल्ली जलबोर्ड के पानी टैंकर घोटाले में 400 करोड़ की हेराफेरी के आरोप कांग्रेस सरकार पर केजरीवाल सरकार की जांच कमेटी ने स्थापित किए पर केजरीवाल सरकार न सिर्फ उस रिपोर्ट को 11 माह तक दबाए बैठी रही बल्कि उस हेराफेरी को आगे भी बढ़ाती रही और अपने 18 माह के शासन में केजरीवाल सरकार ने भी लगभग 200 करोड़ रूपये का बंदरबांट किया है।

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प्याज घोटाला, चीनी घोटाला, आॅटो परमिट घोटाला, सीएनजी घोटाला, भर्ती घोटाला, विज्ञापन घोटाला, प्रस्तावित प्रीमियम एप बस सेवा में भी घोटाला जहां देखो वहां घोटाला ही घोटाला केजरीवाल सरकार के पर्याय बन गये हैं।

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