ये हैं वो क्रिकेटर जिन्होंने खेल के मैदान से राजनीति तक का सफर तय किया

क्रिकेट में शोहरत और पैसा तो है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि क्रिकेटरों का करियर खास लंबा नहीं होता है। 30-32 साल की उम्र में जब कोई आम आदमी अपने करियर को रफ्तार देता है उस उम्र में कई क्रिकेटरों का करियर समाप्त हो जाता है या फिर उसके मैदान से बाहर जाने की उलटी गिनती शुरू हो जाती है। ऐसे

By Edited By: Publish:Mon, 10 Mar 2014 10:25 AM (IST) Updated:Mon, 10 Mar 2014 10:41 AM (IST)
ये हैं वो क्रिकेटर जिन्होंने खेल के मैदान से राजनीति तक का सफर तय किया

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। क्रिकेट में शोहरत और पैसा तो है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि क्रिकेटरों का करियर खास लंबा नहीं होता है। 30-32 साल की उम्र में जब कोई आम आदमी अपने करियर को रफ्तार देता है उस उम्र में कई क्रिकेटरों का करियर समाप्त हो जाता है या फिर उसके मैदान से बाहर जाने की उलटी गिनती शुरू हो जाती है। ऐसे में क्रिकेटर खुद को मशगूल रखने के लिए किसी दूसरे पेशे में जाने को बाध्य होते हैं। वैसे तो क्रिकेट से संन्यास के बाद क्रिकेटरों का सबसे पसंदीदा काम कमेंट्री है। इसके बाद यदि कोई चीज उन्हें सबसे ज्यादा अपनी ओर खींचती है तो वह है राजनीति।

देश में ऐसे कई क्रिकेटर हुए हैं, जो राजनीति में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। क्रिकेट के ये सितारे जब राजनीति में चमकने की उम्मीद लिए आए तो कुछ तो उम्मीद से दो गुना पा गए और कुछ की उम्मीदें पानी में बह गईं। आइये नजर डालते हैं उन क्रिकेटरों पर जो क्रिकेट की पिच छोड़ने के बाद राजनीति के मैदान में आए

नवजोत सिंह सिद्धू:

भारतीय क्रिकेट टीम का यह पूर्व सलामी बल्लेबाज फिलहाल अमृतसर, पंजाब से लोकसभा सांसद हैं। नवजोत ने 2004 में पहली बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की। 2009 में भी वह यहां से सांसद चुने गए और अभी भी पार्टी की सेवा कर रहे हैं।

मुहम्मद अजहरुद्दीन:

पूर्व कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन ने 2009 में कांग्रेस से अपना नाता जोड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसी साल वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीट मुरादाबाद से आम चुनाव में खड़े हुए और सांसद चुने गए। इस बार अटकलें हैं कि वह पश्चिम बंगाल से चुनाव लड़ेंगे।

कीर्ति आजाद:

1983 विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे कीर्ति आजाद के पिता भागवत झा आजाद बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कीर्ति दिल्ली की गोल मार्केट विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। इसके बाद वह भाजपा के टिकट पर दरभंगा (बिहार) संसदीय सीट से चुनाव लड़े और सांसद चुने गए। वह आज भी राजनीति में सक्रिय हैं और सांसद के तौर पर यह उनका दूसरा सत्र है।

चेतन चौहान:

बतौर क्रिकेटर चेतन चौहान, सुनील गावस्कर के साथ पिच पर सलामी बल्लेबाज के रूप में उतरते थे। वह 1991 और 1998 में अमरोंहा (उत्तर प्रदेश) से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर संसद के लिए चुने गए। हालांकि उसके बाद तीन बार (1996, 1999 और 2004) उन्हें इसी सीट पर लगातार हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपना अंतिम संसदीय चुनाव पूर्वी दिल्ली से लड़ा था, जिसमें उन्हें फिर हार का मुंह देखना पड़ा था।

मंसूर अली खान पटौदी:

भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल और बेहतर कप्तानों में शुमार रहे मंसूर अली खान पटौदी ने 1971 में विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर गुड़गांव से लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1991 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। हां हार का अंतर ज्यादा बड़ा नहीं रहा।

मनोज प्रभाकर:

क्रिकेट का ऑलराउंडर मैदान के बाहर भी ऑलराउंडर हो, यह जरूरी नहीं। मनोज प्रभाकर ने 1998 में दिल्ली में आम चुनाव के दौरान अपनी किस्मत आजमाई और हार गए। फिलहाल उन्हें टीवी पर क्रिकेट विश्लेषण करते देखा जा सकता है।

विनोद कांबली:

2009 में विनोद कांबली ने राजनीति में आने का मन बनाया और लोक भारती पार्टी से टिकट लेकर विक्रोली (मुंबई), महाराष्ट्र से चुनाव लड़ा। सचिन के बचपन के दोस्त को शायद पता नहीं था कि राजनीति इतनी आसान नहीं है, जितनी की वह सोचते हैं। नतीजतन, उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब उन्हें राजनीति से काफी दूर समाचार चैनलों पर क्रिकेट विश्लेषण करते देखा जा सकता है।

चेतन शर्मा:

इस तेज गेंदबाज को ज्यादातर क्रिकेटप्रेमी शारजाह में अपनी अंतिम गेंद पर छक्का पड़वाने के लिए याद किया जाता है। लेकिन उन्होंने संन्यास के बाद 2009 में बसपा के टिकट पर फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन इस बार मतदाताओं ने उन्हें बाउंड्री के बाहर कर दिया।

योगराज सिंह:

योगराज को ज्यादातर लोग क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता के रूप में जानते हैं। भारत की तरफ से केवल एक टेस्ट खेलने वालेयोगराज पंजाबी फिल्मों में बड़ा नाम रहे। उन्होंने 2009 में आइएनएलडी के टिकट पर पंचकुला से हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ा और हार झेली।

मुहम्मद कैफ:

क्रिकेट के मैदान से राजनीति का सफर तय करने वालों में ताजा नाम मुहम्मद कैफ का जुड़ा है, जिन्हें कांग्रेस ने आगामी लोक सभा चुनाव के लिए फूलपूर, इलाहबाद से टिकट दिया है। कैफ के साथ खास बात यह जुड़ी हुई है कि वह अभी क्रिकेट में भी सक्रिय हैं।

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