भारत के पास प्रयोग का मौका: गावस्कर

गत विश्व चैंपियन भारत त्रिकोणीय सीरीज में अपना अभियान रविवार को मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू करेगा। भारतीय टीम के लिए त्रिकोणीय सीरीज अच्छा मौका है, इसके जरिये वह विश्व कप से पहले संतुलन हासिल कर सकती है। इस टूर्नामेंट से भारत को सीमित ओवर के क्रिकेट पर अपना ध्यान

By sanjay savernEdited By: Publish:Sat, 17 Jan 2015 06:58 PM (IST) Updated:Sat, 17 Jan 2015 08:13 PM (IST)
भारत के पास प्रयोग का मौका: गावस्कर

(गावस्कर का कॉलम)

गत विश्व चैंपियन भारत त्रिकोणीय सीरीज में अपना अभियान रविवार को मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू करेगा। भारतीय टीम के लिए त्रिकोणीय सीरीज अच्छा मौका है, इसके जरिये वह विश्व कप से पहले संतुलन हासिल कर सकती है। इस टूर्नामेंट से भारत को सीमित ओवर के क्रिकेट पर अपना ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। साथ ही उसे अपनी मजबूतियों और कमजोरियों को जानने का मौका मिलेगा। इससे उसके खिलाडिय़ों को यहां की पिचों से सामंजस्य बिठाने का समय मिलेगा। गेंदबाजों को पता लगेगा कि इस तरह की पिचों पर किस लेंग्थ की गेंदबाजी करना ठीक रहेगा। बल्लेबाजों को यह आजमाने का मौका मिलेगा कि ऑस्ट्रेलिया के बड़े मैदानों के अनुसार उनके लंबे शॉट्स पर्याप्त हैं या नहीं।

मेरी नजर में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा टीम चयन होगा। मेरा मानना है कि अंतिम ग्यारह में जगह बनाने के लिए सबको बराबर मौका मिलना चाहिए। सौभाग्यवश उनके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त मैच हैं। त्रिकोणीय सीरीज में भारत को यह जानने में भी मदद मिलेगी कि तेज गेंदबाजों की मददगार उछाल भरी पिचों पर क्या उसे अपनी पारंपरिक मजबूती स्पिन के भरोसे रहना चाहिए? टेस्ट सीरीज में भारतीय तेज गेंदबाजों ने निराश किया था और वे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को रोक पाने में नाकाम रहे थे।

ऑस्ट्रेलियाई टीम की शुरुआत अच्छी रही। इंग्लैंड के खिलाफ प्रभावशाली जीत से बोनस अंक अर्जित करने के बाद मेजबान टीम के हौसले बुलंद हैं। डेविड वार्नर ने एक और शतक लगाकर न केवल अपनी मजबूत बल्लेबाजी का नमूना दिखाया, बल्कि उनके गेंदबाजों ने नई गेंद से जिस तरह का प्रदशर्ïन किया, उससे भारत को सबक लेना चाहिए। स्टार्क दायें हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ गेंद को दिशा देने में सफल रहे, जबकि कमिंस ने अपनी काफी तेजी दिखायी।

टेस्ट सीरीज में भारत की बल्लेबाजी मुख्य आकर्षण रही थी और वे किसी भी लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम है। हालांकि यह टीम के 'थिंक टैंक' को फैसला करना होगा कि वे लक्ष्य का पीछा करना पसंद करेंगे या विपक्षी टीम के लिए लïक्ष्य तय करेंगे। यह मुकाबले भारतीय टीम को बल्लेबाज और गेंदबाजी दोनों में प्रयोग करने का अवसर देंगे। गेंदबाजों के पास यह दिखाने का मौका होगा कि उन्होंने टेस्ट सीरीज की गलतियों से सबक लिया है। इसमें कोई शक नहीं है कि भारत के विश्व चैंपियन होने के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई टीम को दावेदार माना जा रहा है। लेकिन फाइनल्स में अभी लंबा वक्त है और यह धारणा समय के साथ बदल सकती है।

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