कोरोना के खौफ ने क्रिकेट को दिखाए वो दिन जिसकी शायद ही कभी उम्मीद थी

कोरोना वायरस की वजह से खेल का रंग फीका हो गया है और इसकी वजह से भारत-साउथ अफ्रीका वनडे सीरीज भी रद कर दिया गया।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Fri, 13 Mar 2020 07:27 PM (IST) Updated:Fri, 13 Mar 2020 09:41 PM (IST)
कोरोना के खौफ ने क्रिकेट को दिखाए वो दिन जिसकी शायद ही कभी उम्मीद थी
कोरोना के खौफ ने क्रिकेट को दिखाए वो दिन जिसकी शायद ही कभी उम्मीद थी

नई दिल्ली, जेएनएन। खेल की दुनिया में ऐसे हालत पहले कभी देखने को नहीं मिले थे। कोरोना वायरस ने दुनियाभर में खेल को लाचार बना दिया है। ऐसा लाचार जो चल तो रहा है, लेकिन उसकी सांसें, जीवटता और हौसला टूट सा गया है। शुक्रवार को क्रिकेट की दुनिया में ऐसे दिन की शुरुआत हुई जहां खेलने के लिए खिलाड़ी तो मौजूद थे, लेकिन उनका समर्थन करने वाले दर्शक मौजूद नहीं थे। सही मायनों में शुक्रवार को दुनिया भर में हुए खेल गूंगे, बेजान और नीरस दिखाई दिए।

सिडनी में समर्थन के लिए सिर्फ एक स्टैच्यू

ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर दर्शक अपनी टीम की आधी जान माने जाते हैं। स्टैंड में बैठकर वे खिलाड़ी पर छींटाकशी करके और हाथों में बीयर का गिलास लेकर विरोधी टीम के हौसले पस्त करते हैं, लेकिन शुक्रवार को यहां अलग नजारा था। सिडनी के खाली स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच पहला वनडे हुआ। दर्शकों के नाम पर स्टैंड में स्टीफन हेरल्ड उर्फ यब्बा का सिर्फ एक स्टैच्यू था, जो कभी अपनी एक लाइनर से कंगारू टीम का हौसला बढ़ाता था। 2008 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के प्रशंसक हेरल्ड को सम्मान देने के लिए उनका स्टैच्यू लगाया गया था। इस मैच के लिए इस स्टैच्यू को दर्शक दीर्घा में रखा गया।

जब ध्यान हटा सावधानी हटी

ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान आरोन फिंच और न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन टॉस के लिए मैदान पर पहुंचे, तो विलियमसन ने गलती से हाथ मिला लिया। इसके बाद वह अपने हाथ को पोछते नजर आए। हालत यह थी कि जब गेंदबाज विकेट ले रहे थे तो खुशी भी नहीं मना पा रहे थे। एक-दूसरे से हाथ मिलाने या गले मिलने से परहेज कर रहे थे।

जब खुद गेंद उठानी पड़ी

ऑस्ट्रेलियाई पारी में 18वें ओवर में ईश सोढ़ी की पहली गेंद पर फिंच ने छक्का लगाया। दर्शकों के नहीं होने के कारण क्षेत्ररक्षक लॉकी फर्ग्युसन को स्टैंड में जाकर गेंद लाने पर मजबूर होना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अमूमन ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलता है।

ये भी हुए बंद दरवाजे में

सौराष्ट्र की टीम ने बंगाल को हराकर शुक्रवार को इतिहास में पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता। यह उनके लिए काफी खास था कि क्योंकि उन्होंने यह खिताब अपने घर राजकोट में जीता लेकिन इस जश्न में उनके साथ खड़े रहने के लिए घरेलू दर्शक नहीं थे, क्योंकि आखिरी दिन का मुकाबला बंद दरवाजे में खेला गया। खिलाडि़यों के लिए इस यादगार पल के साझी बनने के लिए उनके परिवार के कुछ लोग थे। ऐसे ही पाकिस्तान प्रीमियर लीग में मुल्तान सुल्तांस और पेशावर जाल्मी के बीच खेला गया मुकाबला भी बिना दर्शकों के हुआ। पीसीएल में आगे भी सभी मुकाबले ऐसे ही खेले जाएंगे।

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