पैसा कमाना है तो उठाना पड़ेगा रिस्क, शानदार निवेश के लिए करने पड़ सकते हैं समझौते

देर से निवेश शुरू करना किसी खराब निवेश को शुरू करने और बाद में उसे ठीक करने की तुलना में एक बहुत बड़ी समस्या है। यानी जड़ता ही आपकी असली और बड़ी समस्या है। इसे समझना जरूरी है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Publish:Mon, 08 May 2023 09:00 PM (IST) Updated:Mon, 08 May 2023 09:00 PM (IST)
पैसा कमाना है तो उठाना पड़ेगा रिस्क, शानदार निवेश के लिए करने पड़ सकते हैं समझौते
Stock Market Investment Risk Factors, Tricks for Earning Good Money

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। निवेशकों के सामने सबसे बड़ा सवाल होता है कि वो लंबे समय के लिए कहां निवेश करें। इस सवाल का सवाब मैंने हाल ही में एक वीडियो में दिया है। ये जवाब निवेश की ग्रोथ, बाजार के उतार-चढ़ाव, जोखिम सहने की एक निवेशक की क्षमता जैसी तमाम चीजों पर सोच-विचार के बाद दिया गया। आखिर निवेश के किसी भी फैसले को लेने का यही तरीका भी है। आज इसके दूसरे पहलू यानी निवेश की शुरुआत करने वाले लोगों के मनोविज्ञान पर बात होगी।

नए निवेशक अक्सर चिंता करते हैं कि कहीं वो गलत निवेश न कर बैठें। ये कोई बुरी बात नहीं, लेकिन कुछ लोगों के लिए ये 'लकवा मार जाने' जैसी स्थिति बन जाती है। उनको लगता है कि उनका निवेश एकदम शानदार हो। ऐसा निवेश हो, जिसमें किसी तरह का समझौता नहीं करना पड़े।

नामुमकिन की चाह क्यों?

अफसोस से कहना होगा कि ऐसा होना करीब-करीब नामुमकिन है। हालांकि, इसके लिए एक नुस्खा है। इसका लक्ष्य है, इस बीमारी का इलाज और वो ये कि जिन्हें परफेक्शन की तलाश है वो तुरंत किसी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर दें। शर्त ये है कि ये इक्विटी पर आधारित फंड होना चाहिए और इस काम के लिए बस दो ही आसान से नियम हैं। पहला, फंड डायवर्सीफाइड होना चाहिए। दूसरा, आप अपना निवेश हर महीने किश्तों में एसआइपी के जरिये करें। यानी सारा निवेश एक ही बार में न करें। बस, आपको इतना ही करना है।

कौन-सा फंड चुनें

आप लार्ज-कैप, फ्लैक्सी-कैप या लार्ज एंड मिड-कैप या इंडेक्स फंड जो चाहे चुन सकते हैं। आपको ये भी जानने की जरूरत नहीं है कि इन नामों का मतलब क्या है। आप बस इक्विटी फंड देखें और जो ठीक-ठाक हों, उनमें अपना एसआइपी से निवेश शुरू कर दें। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि निवेश की शुरुआत करने जा रहे निवेशक के लिए जड़ता से बाहर निकलना सबसे जरूरी होता है। आप आसानी से खुद ही समझ सकते हैं कि इस तरह की जड़ता की वजह क्या है।

कितना निवेश काफी है

क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि जब आप निवेश और पर्सनल फाइनेंस की खबरें सुन या पढ़ रहे होते हैं, तो यही बताया जा रहा होता है कि लोगों का सही स्टाक या म्यूचुअल फंड नहीं चुनना ही सबसे बड़ा मसला है। इसे निवेशकों की असल समस्या का नाम दिया जाता है। पर ये असली समस्या ये नहीं है। असली समस्या है कि ज्यादातर लोग या तो निवेश कर ही नहीं रहे हैं, या निवेश कर भी रहे हैं तो इतना कम कि उनका निवेश उनकी जरूरतों के लिए काफी नहीं है।

परफेक्शन की तलाश

बहुत से लोग बहुत-बहुत देर से अपना निवेश शुरू कर रहे हैं या फिर कभी शुरू ही नहीं कर पाते हैं। और अगर निवेश शुरू करते भी हैं, तो उसमें इतना पैसा नहीं डालते जो उनकी जरूरतों को पूरा कर सके। बात ये नहीं है कि बेस्ट म्यूचुअल फंड या हाट सेंसेक्स कैसे चुनें। सबसे अहम बात है निवेश शुरू करना और लंबे समय तक लगातार निवेश करते रहना।

कभी नहीं से देर भली

एक कहावत है 'कभी नहीं से देर भली' और ये बात जीवन की ज्यादातर बातों के लिए सही हो सकती है। हालांकि, बचत और निवेश में देर करने का नतीजा, जल्दी निवेश शुरू करने की तुलना में बहुत बुरा हो सकता है। कितना बुरा? इसकी एक मिसाल पर गौर कीजिए। मान लेते हैं कि आप अपना पैसा 10 गुना बढ़ाना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए आपको 30 साल के लिए सालाना आठ प्रतिशत रिटर्न पर, 20 साल के लिए 12.2 प्रतिशत रिटर्न पर और 15 साल साल के लिए 16.6 प्रतिशत रिटर्न पर लगाना होगा। इसे एक बार और पढ़ें और सोचें। इसे समझें।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

 

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