Budget 2020: वित्तीय रफ्तार के लिए मनरेगा पर होगा सरकार का भरोसा

Budget 2020 के निर्माण प्रक्रिया के तहत अब तक हुई चर्चा में यह बात सामने आई है कि इकोनॉमी को मजबूती देने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर करना आवश्यक है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Mon, 13 Jan 2020 03:30 PM (IST) Updated:Fri, 31 Jan 2020 09:32 AM (IST)
Budget 2020: वित्तीय रफ्तार के लिए मनरेगा पर होगा सरकार का भरोसा
Budget 2020: वित्तीय रफ्तार के लिए मनरेगा पर होगा सरकार का भरोसा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ग्रामीण क्षेत्र में मांग को बढ़ाने की कोशिश के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण Budget 2020 महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा पर खास दरियादिली दिखा सकती हैं। ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार गारंटी देने वाली इस योजना के लिए आवंटित राशि में ना सिर्फ अच्छी-खासी वृद्धि की उम्मीद है, बल्कि माना जा रहा है कि इसे अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए कई अहम सुधारों का भी एलान किया जाएगा। बजट बनाने की प्रक्रिया के तहत अभी तक जो चर्चा हुई है उसमें यह माना गया है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए बगैर अर्थव्यवस्था के विकास की मौजूदा सुस्त दर को तेज नहीं किया जा सकता। 

MGNREGA को ग्रामीण क्षेत्रों में क्रय क्षमता बढ़ाने का सबसे मजबूत हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत चलने वाली इस योजना का आवंटन हाल के वर्षो में बढ़ा है, फिर भी लोगों की जेब का वजन कम हुआ है। इस बारे में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के प्राध्यापक प्रो. अश्विनी कुमार ने Budget Expectations को लेकर कहा कि मनरेगा का आवंटन बढ़ने के बावजूद गांव से पलायन गंभीर चिंता का विषय है। इसके बारे में उन्होंने कहा कि मनरेगा में निर्माण के पक्के काम बढ़े हैं, जबकि मजदूरी का हिस्सा घटा है। 

कुमार ने कहा, ‘मजदूरी और सामग्री के बीच के 60 और 40 फीसद के अनुपात में अंतर इसकी प्रमुख वजह है।’ उनका कहना है कि पहले इस अनुपात का पालन जिला स्तर पर होता था, जिसे घटाकर ग्राम स्तर पर कर दिया गया है। योजना को अपने पुराने रूप में लागू करने की जरूरत है। योजना में सामग्री और मजदूरी का अनुपात 60 और 40 होता था। हर काम में इस अऩुपात का पालन किया जाता था, जिसकी गणना जिला स्तर पर होती थी। लेकिन धीरे-धीरे उसे गांव का स्तर पर ला दिया गया है। इससे मनरेगा में मजदूरी पर कम और सामग्री पर ज्यादा खर्च होने लगा है।

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