रेपो दर में कमी, सस्ते होम और ऑटो लोन का बना माहौल

ब्याज दरों के मामले में मोदी सरकार एक दशक पहले के राजग कार्यकाल के प्रदर्शन को दोहरा पाएगी। ऐसा कहना अभी तो जल्दबाजी होगी, मगर सस्ते कर्ज का माहौल बनने की सूरत दिख रही है।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2015 08:41 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jun 2015 10:01 PM (IST)
रेपो दर में कमी, सस्ते होम और ऑटो लोन का बना माहौल

नई दिल्ली। ब्याज दरों के मामले में मोदी सरकार एक दशक पहले के राजग कार्यकाल के प्रदर्शन को दोहरा पाएगी। ऐसा कहना अभी तो जल्दबाजी होगी, मगर सस्ते कर्ज का माहौल बनने की सूरत दिख रही है। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने मंगलवार को मौद्रिक नीति की दोमाही समीक्षा करते हुए रेपो रेट में चौथाई फीसद की कटौती कर दी है। इससे होम, ऑटो लोन समेत सभी प्रकार के कर्ज सस्ते होने के आसार हैं। हालांकि शेयर बाजार ने 660 अंक का गोता लगा यह साफ कर दिया है कि निवेशक इससे खुश नहीं हैं। ज्यादा कटौती की उम्मीद लगाए उद्योग जगत ने भी इसे निराशाजनक बताया है।

क्या है रेपो रेट

वह दर जिस पर बैंक अल्पकालिक आवश्यकताओं के लिए आरबीआइ से कर्ज लेते हैं, रेपो दर कहलाती है। बैंकों को कुछ घंटों से 15 दिन के लिए यह उधारी केंद्रीय बैंक से मिलती है।

बैंकों ने भी शुरू की कर्ज दर में कटौती

आरबीआइ अब हर दो महीने पर मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है। ताजा समीक्षा में रेपो रेट को 7.50 से घटाकर 7.25 फीसद कर दिया गया। इसके साथ ही आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों को यह नसीहत दी है कि वे इसका फायदा आम ग्राहकों को दें। उनकी इस घोषणा के कुछ ही घंटे बाद सरकारी क्षेत्र के इलाहाबाद बैंक ने कर्ज की दरों को 0.30 फीसद सस्ता कर दिया है। देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने भी अपनी बेस रेट (कर्ज की न्यूनतम दर) में 0.15 फीसद की कटौती का एलान कर दिया है। इससे एसबीआइ की यह आधार दर घटकर 9.70 फीसद पर आ गई है।

अब पंजाब नेशनल बैंक, आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी बैंक जैसे अन्य प्रमुख बैंकों की ओर से भी कर्ज को सस्ता करने का इंतजार है। पिछले छह महीने में आरबीआइ ने तीसरी बार कर्ज को सस्ता करने की जमीन तैयार की है। इसके पहले रेपो रेट में दो बार और 25-25 आधार अंकों यानी कुल 0.50 फीसद की कटौती रेपो रेट में की है। लेकिन अधिकांश बैंकों ने कर्ज की दरों में बमुश्किल 0.25 फीसद की ही कटौती की थी।

पूर्व राजग सरकार के समय कम थीं दरें

वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा भाजपा के कई वरिष्ठ नेता यह कहते रहे हैं कि राजग सरकार एक बार फिर होम लोन और अन्य कर्ज की दरों को वर्ष 2002-03 के राजग के कार्यकाल में लागू दरों के स्तर पर ले जाएगी। तब बाजार में होम लोन की दरें घटकर सात फीसद तक आ गई थी। बाद में यह संप्रग के कार्यकाल में बढ़कर 13-14 फीसद तक पहुंच गई। अभी यह दरें 9.75 फीसद से ऊपर हैं। राजग सरकार के सत्ता में एक वर्ष पूरा होने पर जेटली ने कहा था अब जबकि महंगाई की दर काफी नियंत्रण में है, ब्याज दरों में कटौती का यह माकूल समय है।

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