गन्ने की लोकप्रिय प्रजाति CO-0238 पर मंडरा रहा खतरा, बीज उपलब्ध कराना भी बड़ी चुनौती
गन्ने की फसल में इस खतरनाक रोग के लक्षण मिलते ही वैज्ञानिकों ने वैकल्पिक प्रजातियों को लेकर एडवाइजरी जारी करनी शुरु कर दी है। जिन क्षेत्रों में इसके लक्षण मिले हैं वहां इनसे बीजों के उपयोग पर तत्काल रोक लगा दी गई है।
नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। गन्ना किसानों और चीनी उद्योग की आंखों की तारा बन चुकी सीओ-0238 प्रजाति पर समय से पहले ही खतरा भी मंडराने लगा है। बीते मानसून सीजन में जबर्दस्त बारिश होने और गन्ना खेतों में पानी जमा होने से इसमे रेड रॉट जैसी फंगल बीमारी के लक्षण देखे जा रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पूर्वी उत्तर प्रदेश, सेंट्रल उत्तर प्रदेश और बिहार में देखा गया है। इसके फैलने का रफ्तार अगर तेज हुई तो आने वाले दिनों में गन्ना किसानों के साथ चीनी उद्योग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
गन्ने के वैकल्पिक प्रजाति के बीजों की मांग को पूरा करना आसान नहीं होगा। दरअसल, इस प्रजाति की कवरेज अधिक होने की वजह से दूसरी वैकल्पिक प्रजाति वाले गन्ने की खेती ही कम हो रही है। रेड रॉट फंगल बीमारी के बारे में सीओ-0238 के जनक डॉक्टर बख्शी राम का कहना है कि यह बीमारी मिट्टी, ग्रसित फसल वाले बीजों और जल से फैलती है। वैसे तो यह प्रजाति रेड रॉट अवरोधी विकसित की गई है। लेकिन समय के साथ इसके फंगस अपना स्वरूप बदल लेते हैं।
इस प्रजाति के एक दशक तक रोग अवरोधी होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन जलवायु परिवर्तन और इस बार मानसून की अधिक बारिश ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और सेंट्रल उत्तर प्रदेश में इसका प्रकोप देखा गया है। डॉक्टर राम ने इस तरह की आशंका इस प्रजाति के रिलीज होने के साथ ही व्यक्त कर दी थी।
गन्ने की फसल में इस खतरनाक रोग के लक्षण मिलते ही वैज्ञानिकों ने वैकल्पिक प्रजातियों को लेकर एडवाइजरी जारी करनी शुरु कर दी है। जिन क्षेत्रों में इसके लक्षण मिले हैं, वहां इनसे बीजों के उपयोग पर तत्काल रोक लगा दी गई है।
लखनऊ स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर एडी पाठक ने बताया कि इसकी जगह सीओ-एलके-1420 प्रजाति की खेती का सुझाव दिया है। इसकी पैदावार भी बहुत अच्छी है। लेकिन समस्या यह है कि जरूरत के मुताबिक बीजों का उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती होगी। डॉक्टर राम ने बताया कि उनके संस्थान ने भी यूपी की कुछ चीनी मिलों को वैकल्पिक प्रजातियां उपलब्ध करा दी हैं, जिसके लिए किसानों को जागरुक कर साल दर साल नई प्रजातियों को भी अपनाने पर जोर देना होगा।
गन्ना किसानों के बीच सक्रिय रहने वाले केंद्रीय राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव बालियान का कहना है 'चीनी उद्योग के रिसर्च एंड डवलपमेंट से पल्ला झाड़ लेने से इस तरह की गंभीर समस्या पैदा होगी। चीनी मिलों के पास उन्नतशील बीज तैयार करने के लिए बड़े फार्म और साइंटिस्ट होते थे, जो अब नहीं हैं। इसलिए आने वाले दिनों में गन्ना बीज बदलने की जरूरत पड़ी तो बहुत बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। इस दिशा में उद्योग जगत को भी एक बार फिर सोचना होगा।'