दिल्ली देहात में केवल सात फीसद परिवारों के पास है जमीन

जोरदार शहरीकरण के बावजूद दिल्ली में देहात अपनी पूरी ठसक के साथ मौजूद है। राजधानी की करीब 51 लाख आबादी दिल्ली के गांवों में आज भी रह रही है। यह दीगर बात है कि इन गांवों में महज सात फीसद परिवारों के पास सारी जमीन है और बाकी 93 फीसद

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2015 10:47 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2015 10:58 AM (IST)
दिल्ली देहात में केवल सात फीसद परिवारों के पास है जमीन

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। जोरदार शहरीकरण के बावजूद दिल्ली में देहात अपनी पूरी ठसक के साथ मौजूद है। राजधानी की करीब 51 लाख आबादी दिल्ली के गांवों में आज भी रह रही है। यह दीगर बात है कि इन गांवों में महज सात फीसद परिवारों के पास सारी जमीन है और बाकी 93 फीसद परिवारों को रोजी-रोटी के लिए मेहनत-मजदूरी का ही आसरा है।

केंद्र सरकार द्वारा कराई गई आर्थिक सामाजिक गणना-2011 के आंकड़े से निकली दिल्ली देहात की गरीबी की तस्वीर का एक रंग यह भी है कि खेती के लिए लोगों के पास जमीन भले न हो लेकिन शायद ही ऐसा कोई घर होगा, जहां मोबाइल फोन न हो। करीब साढ़े दस लाख परिवारों में से नौ लाख के पास मोबाइल फोन हैं।

आंकड़ों में बताया गया है कि देहाती इलाकों में 87.98 फीसद परिवारों के पास मोबाइल फोन है तो 65.9 फीसद परिवार फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि शहरी इलाकों की कौन कहे, ग्रामीण इलाकों में भी मोबाइल फोन ने लैंडलाइन फोन कनेक्शनों को हाशिये पर पहुंचा दिया है। महज 4.16 फीसद लोगों के घरों में ही लैंडलाइन कनेक्शन है। ऐसे परिवार तो और भी कम हैं, जहां पर मोबाइल और लैंडलाइन, दोनों किस्म के फोन उपलब्ध हों। ऐसे परिवारों की संख्या 3.92 फीसद है। हालांकि, देहात में 41,403 परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास न मोबाइल फोन है और न ही लैंडलाइन फोन।

गणना के आंकड़ों से इतर आपको बता दें कि अब भी दिल्ली में बचे हुए गांवों की संख्या करीब 300 है। बदरपुर से लेकर छतरपुर, महिपालपुर, बिजवासन, नजफगढ़, नांगलोई, बवाना, नरेला आदि पूरा इलाका दिल्ली देहात के तहत है। दिलचस्प बात यह भी है कि गगनचुंबी इमारतों और चमचमाती सड़कों से सजी-धजी दिल्ली का शहरी इलाका असल में गांवों की कीमत पर ही आबाद हुआ है। अंग्रेज बहादुरों द्वारा अपनी गोरी मेमों की शॉपिंग के लिए विकसित किया गया कनॉट प्लेस बाजार माधोगंज गांव की जमीन पर आबाद हुआ। यह तो एक बानगी भर है। शहर के हर हिस्से के नीचे एक गांव दबा हुआ है।

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