गलती की तो खैर नहीं, कंपनियों के अफसर भी सीसीआइ के निशाने पर

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) के निशाने पर अब कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी और डायरेक्टर आने वाले हैं। नियामक ने ऐसे अफसरों पर नजर रखनी शुरू कर दी है, जिनकी कंपनियों पर गैर- प्रतिस्पर्धा कार्यो में लिप्त होने का संदेह है। सीसीआइ देश भर के बाजार में गैर-प्रतिस्पर्धी कारोबारी तौर तरीकों पर निगाह रखता है

By Edited By: Publish:Fri, 25 Oct 2013 09:46 AM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
गलती की तो खैर नहीं, कंपनियों के अफसर भी सीसीआइ के निशाने पर

नई दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) के निशाने पर अब कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी और डायरेक्टर आने वाले हैं। नियामक ने ऐसे अफसरों पर नजर रखनी शुरू कर दी है, जिनकी कंपनियों पर गैर- प्रतिस्पर्धा कार्यो में लिप्त होने का संदेह है। सीसीआइ देश भर के बाजार में गैर-प्रतिस्पर्धी कारोबारी तौर तरीकों पर निगाह रखता है।

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सीसीआइ सदस्य अनुराग गोयल ने एक कांफ्रेंस में बताया कि नियामक के पास न केवल कंपनियों, बल्कि उनके निदेशकों व अफसरों पर भी जुर्माना लगाने की शक्ति है। अब आयोग ने इस अधिकार के इस्तेमाल का फैसला लिया है। आयोग गठित हो जाने के तीन साल बाद भी इस ताकत का इस्तेमाल नहीं किया गया।

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सीसीआइ अब गलत तौर-तरीके अपना रहे अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करना चाह रहा है। इसके लिए महानिदेशक (डीजी) से कहा गया है कि यदि नियमों का उल्लंघन दिखे तो निदेशकों और आला अफसरों के खिलाफ भी जांच की जाए। जब सीसीआइ को प्राथमिक सुबूत मिलते हैं तो वह आगे की जांच के लिए अपनी शाखा डीजी को निर्देशित करता है।

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नियामक ने अभी तक सीमेंट निर्माताओं समेत कई कंपनियों पर जुर्माना ठोका है। सीसीआइ ने बीते साल 6,600 करोड़ रुपये का भारी अर्थदंड लगाया था। गोयल ने यह भी साफ किया कि सीसीआइ का उद्देश्य कंपनियों पर जुर्माना लगाने से पूरा नहीं हो जाएगा। नियामक का मकसद स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।

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