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केमिस्ट, दवा सप्लायर और अस्पतालों की गुटबाजी पर सीसीआइ की नजर

सीमेंट, रीयल एस्टेट के बाद प्रतिस्पर्धा आयोग की नजर फार्मा सेक्टर पर है। आयोग का मानना है कि इस क्षेत्र में भी गुटबाजी की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि फार्मा सेक्टर में कीमत का मुद्दा आम जनता के लिए मुश्किल है, सीसीआई के प्रमुख अशोक चावला ने कहा कि इस क्षेत्र में कथित अनुचित व्यवहार

By Edited By: Published: Thu, 03 Oct 2013 09:08 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
केमिस्ट, दवा सप्लायर और अस्पतालों की गुटबाजी पर सीसीआइ की नजर

नई दिल्ली। सीमेंट, रीयल एस्टेट के बाद प्रतिस्पर्धा आयोग की नजर फार्मा सेक्टर पर है। आयोग का मानना है कि इस क्षेत्र में भी गुटबाजी की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि फार्मा सेक्टर में कीमत का मुद्दा आम जनता के लिए मुश्किल है, सीसीआई के प्रमुख अशोक चावला ने कहा कि इस क्षेत्र में कथित अनुचित व्यवहारों को लेकर जांच पाइपलाइन में है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) पहले भी केमिस्ट और ड्रगिस्ट एसोसिएशनों समेत कुछ इकाइयों पर अनुचित व्यापार गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण जुर्माना लगाया है।

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सीसीआई के चेयरमैन अशोक चावला ने कहा है कि बहुत से मामले हैं जिन्हें निपटाया जा चुका है और अभी भी कुछ मामले पाइपलाइन में हैं। उनके अनुसार आयोग पहले की फार्मा रिटेल के कई मामलों में जांच कर चुका है जबकि प्रतिबंधात्मक प्रक्रिया अपनाने और अन्य लोगों को व्यापार में न आने देने का माहौल बनाने के लिए कुछ इकाइयों पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है।

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उन्होंने कहा है कि हमारे विचार से यह एक बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि फार्मास्युटिकल्स रिटेल और कीमतों का प्रभाव बहुत बड़ी जनसंख्या पर पड़ता है। यह कुछ ऐसा है जो कि प्रतिस्पर्धा कानून और सामाजिक-राजनीतिक दोनों ही लिहाज से नाजुक मुद्दा है।

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स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आयोग सभी संभावित गैर प्रतिस्पर्धा वाली गतिविधियों और अस्पतालों द्वारा मरीज को किसी इकाई विशेष से दवाएं लेने के लिए कहने जैसे मामलों पर नजर रखता है। उन्होंने कहा कि हम दवा की कीमत ज्यादा है या कम है इसकी जांच हम नहीं कर रहे। हम कीमतों के निर्धारण में दखल नहीं देते क्योंकि यह हमारा काम नहीं है।


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