सिन्हा समिति की सिफारिशों पर जल्द फैसले का नितिन गडकरी ने दिया भरोसा

मंत्री ने कहा कि भारत को वर्ष 2024 तक पांच टिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए एमएसएमई को जीडीपी में उनका योगदान 29 परसेंट से बढ़ाकर 50 परसेंट करना होगा।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Fri, 06 Sep 2019 09:36 AM (IST) Updated:Fri, 06 Sep 2019 09:36 AM (IST)
सिन्हा समिति की सिफारिशों पर जल्द फैसले का नितिन गडकरी ने दिया भरोसा
सिन्हा समिति की सिफारिशों पर जल्द फैसले का नितिन गडकरी ने दिया भरोसा

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए सरकार जल्द ही यूके सिन्हा समिति की सिफारिशों को लागू करने के बारे में फैसला करेगी। साथ ही एमएसएमई को पेमेंट में विलंब के मामलों में सख्ती बरती जाएगी। एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को को नेशनल वर्कशॉप ऑन क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी और एमएसएमई को पेमेंट में विलंब के मुद्दे पर भुगतान पर चर्चा के दौरान इस आशय की टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सरकार 15 दिनों बाद समिति की सिफारिशों को लागू करने की स्थिति में आ सकती है।

एमएसएमई से वस्तुओं की आपूर्ति लेने के बाद उन्हें पेमेंट न करने के उदाहरणों का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा कि बार-बार इस तरह नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। सरकार इस संबंध में उपाय करेगी। एमएसएमई को भुगतान में देरी से उनकी वर्किंग कैपिटल में कमी आती है। उन्होंने इस संबंध में वित्त मंत्री से बातचीत की है ताकि इस मुद्दे का हल निकाला जा सके। यूके सिन्हा समिति की रिपोर्ट के बारे में गडकरी ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में वित्त मंत्री से चर्चा हुई है।

मंत्री ने कहा कि भारत को वर्ष 2024 तक पांच टिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए एमएसएमई को जीडीपी में उनका योगदान 29 परसेंट से बढ़ाकर 50 परसेंट करना होगा। साथ ही उन्हें निर्यात में उनका योगदान मौजूदा 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 परसेंट करना होगा। एमएसएमई क्षेत्र में अब तक 11 करोड़ नौकरियां सृजित की जा चुकी हैं। इसमें और पांच करोड़ नौकरियां सृजित करने के लिए इस क्षेत्र को मजबूत बनाने की जरूरत है।

समिति का यह था काम:

आरबीआइ ने एमएसएमई फ्रेमवर्क की समीक्षा करने और इस क्षेत्र की आर्थिक व वित्तीय स्थिति मजबूत करने के सुझाव देने के लिए इस समिति का गठन किया था। समिति को हाल में किए गए आर्थिक सुधारों के प्रभाव का अध्ययन करने और विकास दर को प्रभावित करने वाली संरचनात्मक समस्याओं की पहचान का जिम्मा भी सौंपा गया था।यह है सिफारिश : सिन्हा समिति का गठन आरबीआइ ने किया था। समिति ने 5,000 करोड़ रुपये का फंड बनाने, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की तर्ज पर एमएसएमई के कर्मचारियों के लिए बीमा योजना शुरू करने की सिफारिश की है।

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