GST से 200 बिलियन डॉलर बचेंगे, बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

दो से तीन लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था का अर्थ है कि करीब 200 बिलियन डॉलर की बर्बादी अब उत्‍पादक रूप से हो सकेगी।

By Anand RajEdited By: Publish:Thu, 04 Aug 2016 08:07 PM (IST) Updated:Thu, 04 Aug 2016 08:13 PM (IST)
GST से 200 बिलियन डॉलर बचेंगे, बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली। राज्य सभा में जीएसटी संविधान संशोधन बिल पास होने के बाद सरकार इसे एक अप्रैल 2017 से लागू करना चाहती है। यानी सरकार के पास इस बिल को लागू कराने के लिए 238 दिन बचे हैं। इस दौरान इतनी लंबी-चौड़ी प्रक्रिया को पूरा कर पाना मुश्किल लग रहा है। उम्मीद है कि संभवत: जून तक यह कानून लागू हो पाएगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, दो से तीन लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का अर्थ है कि करीब 200 बिलियन डॉलर की बर्बादी अब उत्पादक रूप से उपयोग हो सकेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। अभी तक यह इंवेंट्री स्पेंड बर्बाद हो जाता था। जानते हैं जीएसटी से किसको क्या फायदा होगा।

सिर्फ एंड प्वाइंट पर लगेगा कर

जीएसटी मौजूदा टैक्स ढांचे की तरह कई जगहों पर न लग कर सिर्फ अंतिम बिंदु पर जहां सामान बेचा जा रहा है, वहां लगेगा। वर्तमान में फैक्ट्री से निकलते समय टैक्स सामान पर कर लगता है। इसके बाद रिटेल प्वाइंट पर भी कर लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार जीएसटी से भ्रष्टाचार और लालफीताशाही में कमी आएगी साथ ही पारदर्शिता बढ़ेगी।

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सरकार को फायदा, बढ़ेगा टैक्स बेस

जीएसटी के तहत टैक्स स्ट्रक्चर आसान होगा और टैक्स बेस बढ़ेगा। इसके दायरे से करीब-करीब सभी वस्तुएं और सामान आएंगे। करों की दर कम होने से व्यापारी टैक्स की चोरी के बारे में नहीं सोचेंगे। यदि वे एक जगह पर कर चोरी कर भी लेंगे, तो अगली जगह पर सामान की इंट्री होने पर पकड़े जाएंगे।

सस्ती मिलेंगी वस्तुएं, बढ़ेगा इंपोर्ट-एक्सपोर्ट

जीएसटी सिस्टम में केंद्र और राज्यों सिर्फ बिक्री के समय कर वसूलेंगे। साथ ही ये दोनों ही टैक्स उत्पादन लागत के आधार पर तय होंगे। इससे सामान और सेवाओं के दाम कम होंगे, जिसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को कम कीमत के रूप में होगा। इससे एक्सपोर्ट, रोजगार और आर्थिक विकास में जो बढ़ोतरी होगी।

कंपनियों को फायदा, बढ़ेगी उत्पादों की खपत

सिर्फ बिक्री प्वाइंट पर टैक्स लगने से उत्पादन की लागत कम होगी। वस्तुओं और सेवाओं के दाम कम होने से उनकी खपत बढ़ेगी, जिसका सीधा फायदा कंपनियों को होगा। इसके अलावा कंपनियों पर टैक्स का औसत बोझ कम होगा। एक्सपोर्ट मार्केट में कंपनियों की प्रतिस्पर्द्धी क्षमता बढ़ेगी।

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