पोल खुली, अब सख्त होगी बैंकों की निगरानी

देश के प्रमुख सरकारी बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) में काले धन के हेरा फेरी करने के एक बड़े मामले आने से सरकार व नियामक एजेंसी स्तब्ध है। वित्त मंत्रालय ने मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सभी बैंकों को सख्त चेतावनी जारी की है कि वह अपने अपने

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Publish:Mon, 12 Oct 2015 10:17 PM (IST) Updated:Mon, 12 Oct 2015 10:21 PM (IST)
पोल खुली, अब सख्त होगी बैंकों की निगरानी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के प्रमुख सरकारी बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) में काले धन के हेरा फेरी करने के एक बड़े मामले आने से सरकार व नियामक एजेंसी स्तब्ध है। वित्त मंत्रालय ने मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सभी बैंकों को सख्त चेतावनी जारी की है कि वह अपने अपने स्तर पर और चौकसी बरते ताकि बैंक काले धन के लेन देन का जरिया नहीं बन सके। वित्त मंत्रालय इस बारे में रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर मौजूदा नियमों को और सख्त बनाने की भी सोच रहा है ताकि बैंक शाखाओं के स्तर पर और कड़ी निगरानी हो सके। आरबीआइ ने बैंक ऑफ बड़ौदा से पूरे मामले पर रिपोर्ट मंगवाई है।

और भी बैंक हैं शामिल : बॉब

उधर, बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) ने यह साफ कर दिया है कि सिर्फ उसके स्तर पर ही निगरानी में गड़बड़ी नहीं हुई है बल्कि जिस धन के हस्तांतरण की बात की जा रही है उसमें अन्य बैंक भी शामिल है। साफ है कि अन्य बैंकों के स्तर पर भी बगैर किसी खास स्त्रोत के आने वाले धन की जांच पड़ताल में कायदे कानून का पालन नहीं किया गया है। बॉब ने इस बात से इनकार किया है कि 6100 करोड़ रुपये के काले धन को खपाया गया है। बॉब के मुताबिक 90 फीसद राशि का हस्तांतरण में कोई न कोई दूसरा बैंक शामिल है। सिर्फ 10 फीसद राशि का हस्तांतरण ही सीधे तौर पर बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा के जरिए की गई है। वैसे इस खुलासे से बॉब को वित्तीय हानि नहीं हुई है लेकिन आज शेयर बाजार में बैंक के शेयर 8 फीसद तक लुढ़क गये। बाजार बंद होने के समय बॉब के शेयर तीन फीसद नीचे थे।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 'एक बड़े बैंक में महीनों तक भारी भरकम राशि का लेन देन होता रहा और उसकी भनक उपर नहीं लगने दी गई यह बताता है कि नियमन में कोई भारी समस्या है। अब यह भी देखना होगा कि अन्य बैंक भी काले धन को खपाने के काम में शामिल हैं या नहीं। निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में निगरानी की मौजूदा व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी क्योंकि सरकार हर कीमत पर काले धन पर लगाम लगाना चाहती है।'

आरबीआइ के सूत्रों ने बताया कि वह पूरे घटनाक्रम और सीबीआइ की जांच प्रक्रिया पर नजर रखे हुए है। बैंक ऑफ बड़ौदा से केंद्रीय बैंक अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है। तीन वर्ष पहले भी जब देश के कई सरकारी व निजी बैंको में ब्लैक मनी को सफेद करने का एक बेवसाइट ने पर्दाफाश किया था तब आरबीआइ ने जांच करने के बाद सभी बैंकों पर आर्थिक दंड लगाया था।

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