शुरू होने वाला है तेज विकास व कम महंगाई का दौर

भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छे दिनों की ओर बढ़ रही है। अगले एक से दो साल में तेज विकास और कम महंगाई (गोल्डीलॉक) का दौर शुरू होने वाला है। इसके चलते वर्ष 2016 में भारत एशिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था बन सकता है।

By Sudhir JhaEdited By: Publish:Wed, 26 Nov 2014 09:24 AM (IST) Updated:Wed, 26 Nov 2014 09:48 AM (IST)
शुरू होने वाला है तेज विकास व कम महंगाई  का दौर

नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छे दिनों की ओर बढ़ रही है। अगले एक से दो साल में तेज विकास और कम महंगाई (गोल्डीलॉक) का दौर शुरू होने वाला है। इसके चलते वर्ष 2016 में भारत एशिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था बन सकता है।

ग्लोबल वित्तीय सेवा फर्म नोमुरा ने अपने नवीनतम आकलन को कुछ इसी तरह पेश किया है। फर्म ने उम्मीद जताई है कि भारत में उत्पादकता बढ़ाने वाले आर्थिक सुधार होंगे। इसकी बदौलत साल 2015 के दौरान आर्थिक विकास दर में 6.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है।

नोमुरा ने कहा, हमें उम्मीद है कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वास्तविक वृद्धि दर 2015 में बढ़कर 6.4 फीसद हो जाएगी। यह 2014 में 5.2 प्रतिशत थी। 2016 में यह बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो जाएगी। इसमें भारत के बारे में मिश्रित सूचकांक से संकेत मिलते हैं कि अर्थव्यवस्था का सबसे बुरा दौर खत्म हो चुका है। अब व्यापार चक्र सुधार के शुरुआती चरण में है।

नोमुरा की अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा, हमारी राय में अगला दौर कम महंगाई और तेज विकास दर का है। भारतीय परिदृश्य के लिए घरेलू से ज्यादा वैश्विक हालात ज्यादा जोखिम पैदा कर सकते हैं। नोमुरा के मुख्य अर्थशास्त्री रॉब सुब्बारमण ने कहा कि 2015 में भारत के आर्थिक परिदृश्य को लेकर हमारा नजरिया सकारात्मक है। हमारे अनुमान से जुड़े जोखिम में ग्लोबल ग्रोथ में नरमी, जिंसों की ऊंची कीमत, घरेलू पूंजी खर्च चक्र की कमजोर शुरुआत और पूंजी प्रवाह, खास तौर पर ऋण प्रवाह में भारी कमी शामिल है।

आरबीआइ पर ब्याज घटाने का दबाव

जुलाई से लेकर सितंबर के बीच देश की आर्थिक विकास दर संभवत: घटकर पांच प्रतिशत के आसपास रह गई है। इससे पहले वाली तिमाही में विकास दर 5.7 प्रतिशत थी। वित्त मंत्रलय के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि विकास दर सुस्त पड़ने की वजह से रिजर्व बैंक (आरबीआइ) पर नीतिगत ब्याज दरें घटाने का दबाव बढ़ गया है। अगले हफ्ते मंगलवार को रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है। इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली आरबीआइ के गवर्नर रघुराम राजन के साथ होने वाली बैठक में ब्याज दरें कम करने को लेकर जोरदार बहस कर सकते हैं।

ज्यादा रोजगार को चाहिए तेज विकास

यदि सितंबर तिमाही में विकास दर पांच प्रतिशत के आसपास ठहर जाती है तो यह सरकार के लिए बड़ी मुश्किल साबित होगी। आधिकारिक आंकड़े शुक्रवार को जारी होंगे। चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस पैमाने पर नौकरियों के मौके बढ़ाने का वादा किया था। उसके लिए विकास दर करीब आठ प्रतिशत होनी चाहिए। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए देश में कम ब्याज दर जरूरी है।

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