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अर्थव्यवस्था और राजनीति का नया चक्र देगा फायदा

शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाई छू रहा है। ऐसे में आपके मुताबिक निवेशकों की क्या रणनीति होनी चाहिए? देखिए अर्थव्यवस्था के नए चक्र की शुरुआत हो रही है। साथ ही, देश में राजनीतिक चक्र भी नया शुरू हो रहा है। ऐसा बहुत कम होता है।

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 03:48 PM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 04:48 PM (IST)
अर्थव्यवस्था और राजनीति का नया चक्र देगा फायदा

शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाई छू रहा है। ऐसे में आपके मुताबिक निवेशकों की क्या रणनीति होनी चाहिए?
देखिए अर्थव्यवस्था के नए चक्र की शुरुआत हो रही है। साथ ही, देश में राजनीतिक चक्र भी नया शुरू हो रहा है। ऐसा बहुत कम होता है। अगर अर्थव्यवस्था के सभी पक्षों को राजनीतिक नेतृत्व का लाभ मिला और सही नीतियों का क्रियान्वयन होता है तो आर्थिक विकास की दर को काफी लंबे समय तक ऊपर रखा जा सकता है। भले ही वह आठ नौ फीसद न हो।

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सात फीसद विकास दर भी अगर छह सात साल तक बनी रहे तो उसका लाभ मिलेगा। रही बात बाजार की तो उसे छोटी अवधि या तात्कालिक लाभ के लिए नहीं देखना चाहिए। इसलिए निवेशकों को भी रिटर्न के लिहाज से लंबी अवधि के लिए सोचना चाहिए। कंपनियों की आमदनी 15-17 फीसद वृद्धि की रफ्तार प्राप्त कर पाती है या नहीं। इस पर ध्यान देना होगा। इसलिए निवेशकों को अब पीई पर नहीं बल्कि कंपनियों की आमदनी पर ध्यान देना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए निवेशकों को निवेश के फैसले लेने चाहिए।

आपके हिसाब से कंपनियों की आमदनी बढ़ने में अभी कितना वक्त या तिमाही और लगेंगी?
पहले तो सरकार को ऐसा माहौल बनाना होगा, जिससे विकास की दर ऊपर की तरफ बढ़े। कच्चे तेल के दाम अगर इन्हीं स्तरों पर रह गए तो सरकार का राजकोषीय घाटा तीन फीसद पर लाया जा सकता है, जिसके बारे में अभी तक सोचना भी मुश्किल लगता था। कम से कम 3.5 फीसद तक तो लाया ही जा सकेगा।

अब सरकार को ऐसे कदम उठाने होंगे, जिनका असर दिखे। एलपीजी की कीमतों में वृद्धि लंबे समय से लटक रही है। अगर सरकार डीजल की तरह नीति अख्तियार कर ले तो किसी को यह वृद्धि बोझ नहीं लगेगी। केरोसिन के इस्तेमाल को लेकर उठते रहे सवाल अभी तक अनुत्तरित हैं।

सुधारों की दिशा में जीएसटी लागू करना होगा, ताकि दुनिया को पता चले कि हम आगे बढ़ रहे हैं। इन सब का लाभ मिलने के लिए हमें दो से तीन वर्ष का समय चाहिए। लेकिन इसके लिए ये काम अभी से शुरू करना होगा।

लेकिन ये होगा कैसे?
देखिए किसी भी तरह से हमें निवेश का चक्र लौटाना होगा। बैंकों के कर्ज की रफ्तार बढ़नी चाहिए। उद्योगों में निवेश वापस आना चाहिए। बैंकों के कर्ज की दर में संशोधन करना होगा। पुरानी परियोजनाओं को फिर से शुरू कराने के उपाय करने के साथ नई परियोजनाओं की शुरुआत करनी होगी।

सरकार जब तक निवेश करना शुरू नहीं करेगी, तब तक निजी क्षेत्र आगे नहीं बढ़ेगा। निर्यात बढ़ाने होंगे। नए बाजार तलाशने होंगे।

इन परिस्थितियों में बाजार में आप किन सेक्टरों में निवेश की गुंजाइश देख रहे हैं?
देखिए अभी तो वही सेक्टर अच्छे हैं, जिनमें कुछ मांग बन रही है। जैसे ऑटोमोबाइल। लोग कार खरीद रहे हैं। पहली बार कार खरीदने वालों की संख्या वहीं बनी हुई है और बाजार में ऐसे खरीदारों के लिए विकल्प भी हैं। यही बात दोपहिया वाहनों के अलावा ऑटोमोबाइल क्षेत्र की सहायक कंपनियों के मामले में है।

ऑटो कंपनियों की बिक्री बढ़ेगी तो इन कंपनियों की आमदनी भी बढ़ेगी। कनवर्टिबल कमोडिटीज जैसे मेटल से बनने वाले उत्पाद। साथ ही, मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स, फोर्जिंग व लाइट इंजीनियरिंग उत्पाद ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अभी विकास की गुंजाइश है। मोटे तौर पर कहा जाए तो रोजमर्रा में काम आने वाले उत्पाद बनाने वाले क्षेत्रों में मांग बनी रहेगी।

आपके फंड्स का प्रदर्शन कैसा है अभी?
देखिए हमारे दो सबसे बड़े फंड अपॉर्चुनिटी फंड व इक्विटी फंड हैं। अगर आप आठ साल के लिए उसमें निवेश करते हैं तो आपका रिटर्न उद्योग के सबसे अच्छे फंड के रिटर्न से बहुत कम नहीं है। यह हमारी रणनीति का ही नतीजा है। निवेशकों को एक साल के रिटर्न का आउटलुक नहीं रखना चाहिए।

निवेशकों को आप अभी क्या राय देते हैं?
पहली और अहम बात तो यह है कि आपको अपनी निवेश की राशि में इक्विटी का हिस्सा बढ़ाना चाहिए। कम से कम 20 फीसद करना चाहिए। देखिए इक्विटी व रीयल एस्टेट में किए गए निवेश में कोई तुलना नहीं हो सकती। इसलिए इक्विटी में निवेश को एकदम अलग नजरिये से देखना होगा। आपका सारा निवेश रीयल एस्टेट में नहीं होना चाहिए।

अनूप भास्कर
हेड इक्विटी,
यूटीआइ म्यूचुअल फंड

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