रुपये को मजबूती देने वाले रिजर्व बैंक के उपायों से खफा है एसबीआइ

देश के दिग्गज बैंक एसबीआइ ने बैंकिंग तंत्र से नगदी सोखने के रिजर्व बैंक के उपायों पर नाराजगी जताई है। एसबीआइ चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने केंद्रीय बैंक से अपील की है कि वह लिक्विडिटी घटाकर बैंकों का गला न घोटे। रुपये को संभालने और महंगाई को कम करने के लिए रिजर्व बैंक इसकी जगह ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रास्ता अपना सकता है।

By Edited By: Publish:Thu, 25 Jul 2013 11:02 AM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
रुपये को मजबूती देने वाले रिजर्व बैंक के उपायों से खफा है एसबीआइ

कोलकाता, जागरण संवाददाता। देश के दिग्गज बैंक एसबीआइ ने बैंकिंग तंत्र से नगदी सोखने के रिजर्व बैंक के उपायों पर नाराजगी जताई है। एसबीआइ चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने केंद्रीय बैंक से अपील की है कि वह लिक्विडिटी घटाकर बैंकों का गला न घोटे। रुपये को संभालने और महंगाई को कम करने के लिए रिजर्व बैंक इसकी जगह ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रास्ता अपना सकता है।

उद्योग संगठन फिक्की द्वारा बुधवार को यहां आयोजित बैंकिंग कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने हाल ही में कई कदम उठाए हैं। इससे बैंकों के पास कर्ज बांटने लायक राशि कम हो गई है। प्रतीप चौधरी ने बताया कि लेंडिंग रेट को कड़ा करने के लिए उठाए जा रहे कदम अस्थाई हैं। इनका लंबे समय में प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसे में फिलहाल ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। मगर इससे नगदी कम हो रही है। नगदी बढ़ाने के लिए एसबीआइ को पिछले कुछ दिनों में 5,000-6,000 करोड़ रुपये लिक्विड म्युचुअल फंडों से निकालना पड़ा है। चौधरी ने कहा कि बैंक 99 फीसद रिटेल डिपॉजिट पर निर्भर रहते हैं। आरबीआइ के कदम से मुद्रा बाजार अल्पकालिक दबाव में हैं। वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी इन कदमों पर नजर रखे हुए हैं।

चौधरी ने बताया कि उन्होंने बैंकों को आश्वस्त किया है कि आरबीआइ के कदम अस्थाई हैं। ऐसे में इसका लंबी अवधि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बुधवार को चिदंबरम ने कोलकाता में पूर्वी क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ बैठक भी की। इस दौरान उन्होंने पूर्वी राज्यों की 31 हजार करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा की। खासकर लटकी परियोजनाओं को लेकर उन्होंने उद्यमियों, परियोजनाओं में शामिल संस्थाओं के प्रतिनिधियों से बातचीत की। चौधरी ने बताया कि इन परियोजनाओं को बैंकों ने 22-23 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है। लटकी परियोजनाओं में ज्यादातर झारखंड और ओडिशा की स्टील व बिजली परियोजनाएं शामिल हैं। पश्चिम बंगाल की 800 करोड़ रुपये की दो सड़क परियोजनाएं भी इसमें हैं।

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