मोदी सरकार की आर्थिक सुधार की रफ्तार से निराशाः मूडीज

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख को बेहतर करने की राजग सरकार के मंसूबों पर पानी पेर दिया है। भारतीय अर्थïव्यवस्था पर मंगलवार को मूडीज की तरफ से जारी रिपोर्ट ने केंद्र सरकार की आर्थिक सुधार की नीतियों को लेकर भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं। रिपोर्ट में

By Edited By: Publish:Wed, 01 Jul 2015 12:44 AM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2015 10:57 AM (IST)
मोदी सरकार की आर्थिक सुधार की रफ्तार से निराशाः मूडीज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख को बेहतर करने की राजग सरकार के मंसूबों पर पानी पेर दिया है। भारतीय अर्थïव्यवस्था पर मंगलवार को मूडीज की तरफ से जारी रिपोर्ट ने केंद्र सरकार की आर्थिक सुधार की नीतियों को लेकर भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं। रिपोर्ट में देश की मौजूदा ग्रामीण स्थिति को बहुत खराब बताया गया है। निवेश के लिहाज से भारत को बीएएए 3 की रेटिंग दी गई है। इसका मतलब है कि भारत निवेश के लिए सही जगह नहीं है। हालांकि इसने भारतीय अर्थïव्यवस्था को अब भी संभावनाओं वाला माना है।

मूडीज की इस 'इनसाइड इंडिया रिपोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि मोदी सरकार आर्थिक सुधार को लेकर अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ रही है, जो कुछ हद तक निराशा पैदा करता है। एक सर्वे के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में नीतिगत जड़ता की स्थिति से निराशा का माहौल बन रहा है। सर्वे में भाग लेने वाले आधे लोगों ने माना है कि सुधार की गति का मंद होना आर्थिक विकास की राह में सबसे बड़ी अड़चन है। बहुदलीय व्यवस्था और संघवाद पर आधारित लोकतंत्र की वजह से कई बार नीतियों को लेकर त्वरित फैसला लेने में दिक्कत आती है, जबकि कई नीतियां भारत को मजबूत करने वाली हैं।

वैसे, इसमें भारत की आर्थिक विकास दर के 7.5 फीसद रहने के पुराने अनुमान को अभी भी बनाए रखा गया है। यह भी कहा गया है कि समूह 20 देशों में भारत सबसे तेजी से विकास करने वाला देश बना रहेगा। मूडीज ने कई अन्य एजेंसियों की तरफ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उत्पन्न संकट की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करवाया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मांग लगातार घट रही है। इसका मतलब है कि वहां आमदनी घट रही है। यह स्थिति चालू वर्ष के दौरान भी बनी रहेगी। अगर मानसून सामान्य नहीं रहता है तो स्थिति और बिगड़ सकती है। सर्वे में शामिल 47 फीसद ने सुधार की गति के धीमी होने को देश की अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती माना है। जबकि 38 फीसद लोगों ने ढांचागत समस्याओं को दूसरी सबसे बड़ी चुनौती करार दिया है।

फिच ने घटाया विकास अनुमान
एक अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास दर के अनुमान को घटा दिया है। एजेंसी के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर 7.8 फीसद रहने का अनुमान है। फिच ने इससे पहले भारत की रफ्तार आठ फीसद रहने का अनुमान व्यक्त किया था।

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