अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के स्पष्ट संकेत, सितंबर में विभिन्न मोर्चों पर दिखी बड़ी राहत

छह माह के इंतजार के बाद एकबारगी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती नजर आ रही है। सितंबर माह में एक साथ कई आर्थिक मोर्चे पर बढ़ोतरी देखी गई। इनमें रोजगार के लिए सबसे जरूरी मैन्यीफैक्चरिंग इंडेक्स से लेकर राजस्व के लिए जरूरी जीएसटी कलेक्शन तक शामिल हैं।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 08:39 PM (IST) Updated:Fri, 02 Oct 2020 08:33 AM (IST)
अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के स्पष्ट संकेत, सितंबर में विभिन्न मोर्चों पर दिखी बड़ी राहत
सितंबर महीने में ऑटो सेक्टर की बिक्री में तेजी से मैन्यूफैक्चरिंग को मजबूती मिली है।

नई दिल्ली, राजीव कुमार। छह माह के इंतजार के बाद एकबारगी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती नजर आ रही है। सितंबर माह में एक साथ कई आर्थिक मोर्चे पर बढ़ोतरी देखी गई। इनमें रोजगार के लिए सबसे जरूरी मैन्यूफैक्चरिंग इंडेक्स से लेकर राजस्व के लिए जरूरी जीएसटी कलेक्शन तक शामिल हैं। देश के जीडीपी में 7 फीसद की हिस्सेदारी रखने वाले ऑटो क्षेत्र का भी प्रदर्शन पिछले साल सितंबर के मुकाबले बेहतर रहा।

लॉकडाउन की वजह से प्रभावित सप्लाई चेन भी दुरुस्त होती दिख रही है। तभी पिछले साल सितंबर के मुकाबले अधिक माल की ढुलाई की गई। इस साल फरवरी के बाद पहली बार सितंबर में बिजली के उत्पादन में बढ़ोतरी दिखी है जो औद्योगिक गतिविधियों में इजाफे को दर्शा रही है। देश भर में अनलॉक की प्रक्रिया पूरी होने एवं आवाजाही बढ़ने से पेट्रोल की बिक्री पिछले साल के मुकाबले बढ़ गई।

कोरोना संक्रमण के कारण गत मार्च में लॉकडाउन की प्रक्रिया शुरू हुई थी और तब से लेकर अगस्त तक एक साथ अर्थव्यवस्था के इतने मोर्चे पर सकारात्मक बढ़ोतरी नहीं दिखी थी। 

सितंबर में इंडियन मैन्यूफैक्चरिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ) 56.8 के स्तर पर पहुंच गया जो कि वर्ष 2012 जनवरी के बाद से सबसे अधिक है। इस साल अगस्त में पीएमआइ 52 के स्तर पर था।

सितंबर महीने में ऑटो सेक्टर की बिक्री में तेजी से मैन्यूफैक्चरिंग को मजबूती मिली है। देश के मोटर वाहनों में 50 फीसद से अधिक हिस्सेदारी रखने वाली मारुति सुजुकी की घरेलू बिक्री में सितंबर में पिछले साल सितंबर के मुकाबले 32.2 फीसद की बढ़ोतरी रही। दूसरी कंपनियों की बिक्री में भी छलांग दिखी।

मांग निकलने और सप्लाई चेन दुरुस्त होने से सितंबर माह में रेलवे से 1021 लाख टन माल की ढुलाई की गई जो पिछले साल सितंबर के 885 लाख टन मुकाबले 15 फीसद अधिक है। इस कारण माल ढुलाई से रेलवे को सितंबर में 14 फीसद अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई।

वस्तुओं की बिक्री से सीधे तौर पर जुड़े जीएसटी का कलेक्शन इस साल सितंबर माह में 95,480 करोड़ रहा जो पिछले साल सितंबर के मुकाबले 4 फीसद अधिक है और इस साल अगस्त के मुकाबले यह 9 फीसद अधिक है। जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोतरी से सरकार को राजस्व के मोर्चे पर बड़ी राहत मिलेगी और वित्तीय घाटे में कमी आएगी।

काम धंधे में बढ़ोतरी से सितंबर में पेट्रोल की बिक्री पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2 फीसद अधिक रही। इस साल मार्च के बाद पहली बार पेट्रोल की खपत में पिछले साल के मुकाबले इजाफा हुआ है। हालांकि इस साल सितंबर में डीजल की बिक्री पिछले साल सितंबर के मुकाबले 7 फीसद कम रही, लेकिन इस साल अगस्त के मुकाबले डीजल की बिक्री 22 फीसद अधिक हुई।

पेट्रोल के साथ सितंबर माह में बिजली के उत्पादन में भी तेजी रही। पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कारपोरेशन (पोस्को) के मुताबिक इस साल सितंबर में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले बिजली उत्पादन में 4.9 फीसद की बढ़ोतरी रही। जबकि खपत में पिछले साल के मुकाबले 5.6 फीसद की बढ़ोत्तरी दिखी। कोयले के उत्पादन में भी सितंबर में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है क्योंकि इस साल अगस्त में कोयले के उत्पादन में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 3.6 फीसद का इजाफा देखा गया।

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