सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण का कदम थोड़ा पहले उठाया जाना बेहतर रहता: जालान

आरबीआइ के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि केवल योजनाओं और नीतियों की घोषणा से काम नहीं चलेगा

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Sun, 12 Nov 2017 11:37 AM (IST) Updated:Sun, 12 Nov 2017 11:37 AM (IST)
सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण का कदम थोड़ा पहले उठाया जाना बेहतर रहता: जालान
सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण का कदम थोड़ा पहले उठाया जाना बेहतर रहता: जालान

नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्रीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए पुनर्पूंजीकरण का कदम बहुत पहले ही उठाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में बैंकों का पुनर्पूंजीकरण बहुत ही सकारात्मक कदम है। हाल ही में सरकार ने बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की है।

एक कार्यक्रम में बैंकों के एनपीए पर उन्होंने कहा कि एनपीए बढ़ने का अध्ययन किया जानना चाहिए। हमें यह मालूम करना चाहिए कि एनपीए इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है। जबकि सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि फंसे कर्ज का अनुपात 4-5 फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि केंद्र में लंबे समय से बहुमत की सरकार होने के कारण दीर्घकालिक सुधार, कठिन सुधार, राजनीतिक सुधार, आर्थिक सुधार और सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार अब संभव है। अभी हमें प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर मौलिक सुधार की जरूरत है। दूसरी समस्या सुधारों के क्रियान्वयन की है जो निसंदेह बहुत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि केवल योजनाओं और नीतियों की घोषणा से काम नहीं चलेगा, प्रभावी तरीके से इनका क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करना पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर भारत भविष्य में अपनी पूरी क्षमता को महसूस करना चाहता है तो उसे उक्त समस्याओं को तात्कालिक और दीर्घकालिक जरूरतों के हिसाब से हल करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें समयबद्ध कार्य और कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना होगा। राजनीतिक नेतृत्व नौकरशाही और प्रशासनिक सुधार में प्रगति की निगरानी कर सकता है।
 

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