छह महीने में राजकोषीय घाटा बढ़कर 7.58 लाख करोड़, कोर सेक्टर की वृद्धि दर 20 माह के न्यूनतम स्तर पर

पिछले साल अप्रैल से अक्टूबर तक राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2012 के लक्ष्य का 36.3 प्रतिशत था। अप्रैल से सितंबर की अवधि में राजकोषीय घाटा बढ़कर 6.20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था जो वार्षिक अनुमान का 37.3 प्रतिशत था।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Publish:Wed, 30 Nov 2022 06:28 PM (IST) Updated:Wed, 30 Nov 2022 06:28 PM (IST)
छह महीने में राजकोषीय घाटा बढ़कर 7.58 लाख करोड़, कोर सेक्टर की वृद्धि दर 20 माह के न्यूनतम स्तर पर
April-October fiscal deficit at Rs 7.58 lakh crore, Core sector growth lowest in 20 months

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आधिकारिक आंकड़ों से पता चला कि अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में भारत का राजकोषीय घाटा बढ़कर 7.58 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो वार्षिक अनुमान का 45.6 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए, सरकार का राजकोषीय घाटा 16.61 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। राजकोषीय घाटा सरकार के व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है।

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के अंत में सरकार का राजकोषीय घाटा पूरे साल के बजट अनुमान का 45.6 प्रतिशत तक पहुंच गया। राजकोषीय घाटा 2022-23 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान 7,58,137 करोड़ रुपये था।

पिछले साल इसी अवधि में घाटा 2021-22 के बजट अनुमान का 36.3 फीसदी था। आपको बता दें कि 2022-23 के लिए सरकार का राजकोषीय घाटा 16.61 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

घटा कोर सेक्टर का उत्पादन घटा

30 नवंबर को जारी सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि कोर सेक्टर के उद्योगों की वृद्धि पिछले साल के इसी महीने के 8.7 प्रतिशत की तुलना में अक्टूबर में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई। इसके अलावा मंत्रालय ने जुलाई 2022 के लिए आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर को संशोधित कर अनंतिम स्तर 4.5 प्रतिशत से 4.8 प्रतिशत कर दिया।

इससे पहले सितंबर में पिछले दो महीनों में गिरावट के बाद अर्थव्यवस्था के आठ बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में वृद्धि तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि आठ क्षेत्रों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, सीमेंट, स्टील और बिजली में वृद्धि सितंबर में 7.9 प्रतिशत हो गई।

अगस्त में यह सात महीने के निचले स्तर 4.1 फीसदी पर आ गया था। सितंबर में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस को छोड़कर सभी क्षेत्रों में वृद्धि दर्ज की गई। विशेष रूप से, कोयला उर्वरक, सीमेंट और बिजली ने महीने के दौरान उत्पादन में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की। औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक में आठ प्रमुख उद्योगों का भारांक 40.27 प्रतिशत है।

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