1 अक्‍टूबर से सस्‍ता मिलेगा लोन, ब्याज दर तय करने में खेल नहीं कर पायेंगे बैंक

1 अक्टूबर 2019 से बैंकों को फ्लोटिंग रेट पर दिये जाने वाले नये पर्सनल लोन ऑटो लोन होम लोन और एमएसएमई लोन को रेपो रेट से लिंक करना होगा।

By Manish MishraEdited By: Publish:Thu, 05 Sep 2019 10:21 AM (IST) Updated:Thu, 05 Sep 2019 01:19 PM (IST)
1 अक्‍टूबर से सस्‍ता मिलेगा लोन, ब्याज दर तय करने में खेल नहीं कर पायेंगे बैंक
1 अक्‍टूबर से सस्‍ता मिलेगा लोन, ब्याज दर तय करने में खेल नहीं कर पायेंगे बैंक

नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। रेपो रेट घटने के बावजूद ब्याज दरों में कटौती करने में आनाकानी करने वाले बैंकों पर नकेल कसने और कर्ज की ब्याज दरें तय करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रिजर्व बैंक ने अहम कदम उठाया है। एक अक्टूबर 2019 से बैंकों को फ्लोटिंग रेट पर दिये जाने वाले नये पर्सनल लोन, ऑटो लोन, होम लोन और एमएसएमई लोन को रेपो रेट से लिंक करना होगा। ऐसा होने पर ब्याज दरों में कमी आएगी और नया लोन सस्ता हो जाएगा। हालांकि मौजूदा लोन के भुगतान पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। 

रिजर्व बैंक ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, ''ऐसा देखा गया है कि मौजूदा एमसीएलआर फ्रेमवर्क के तहत अलग-अलग कारणों से पॉलिसी रेट में बदलाव का पालन बैंकों की उधारी दर के रूप में संतोषजनक नहीं है। इसलिए आरबीआइ ने एक सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए फ्लोटिंग रेट पर दिये जाने वाले सभी नये पर्सनल या रिटेल लोन (हाउसिंग, ऑटो जैसे लोन) और एमएसएमई लोन को एक अक्टूबर 2019 से एक एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है। इस सर्कुलर में जो भी एक्सटर्नल बेंचमार्क दिये गये हैं उनमें से कोई एक चुन सकते हैं।''

बैंक फिलहाल एमसीएलआर या बेस रेट के आधार पर अपनी उधारी दर तय करते हैं। एक अक्टूबर से लागू होने वाली नयी व्यवस्था के तहत उन्हें रेपो रेट या सरकार के ट्रेजरी बिल्स पर यील्ड के आधार पर अपनी उधारी दरें तय करनी होंगी। बैंकों को हर तीन माह पर उधारी दरों की समीक्षा करनी होगी।

आरबीआइ का यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल जनवरी से लेकर अब तक रेपो रेट में 1.10 प्रतिशत अंक की कटौती के बावजूद बैंकों ने ग्राहकों को कर्ज की दरों में लगभग 0.40 प्रतिशत अंक की राहत ही दी है। आरबीआइ ने बार-बार बैंकों से आग्रह भी किया है कि वे रेपो रेट में कटौती के अनुरूप अपनी ब्याज दरों में भी कमी करें। 

गौरतलब है कि आरबीआइ ने एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड-बेस्ड लेंडिंग रेट के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए आतंरिक अध्ययन समूह का गठन किया था। इस समूह ने अक्टूबर में 2017 में अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा था कि बेस रेट और एमसीएलआर जैसे बैंकों के इंटरनल बेंचमार्क से पॉलिसी रेट में कटौती का ट्रांसमिशन ब्याज दरों में कमी के रूप में नहीं हुआ है। इसलिए समूह ने समयबद्ध ढंग से एक एक्सटर्नल बेंचमार्क अपनाने का सुझाव दिया था। 

यही वजह है कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल पांच दिसंबर को ऐलान किया था कि आरबीआइ का इरादा फ्लोटिंग रेट पर दिये जाने वाले बैंकों के सभी पर्सनल लोन या रिटेल लोन और एमएसएमई लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ने का है। आरबीआइ ने इस साल अप्रैल में भी कहा था कि वह इस संबंध में कोई निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श करेगा। इसके बाद ही आरबीआइ ने अब यह कदम उठाया है। वैसे अब तक आठ बैंक अपनी उधारी दरें रेपो रेट से लिंक कर चुके हैं।

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