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घरेलू बाजारों में विदेशी निवेशकों की दमदार वापसी, क्या खत्म हो गया चुनावी नतीजों का खौफ?

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बीते सप्ताह घरेलू इक्विटी बाजारों में मजबूती वापसी की है। इस कारण ही सप्ताह के दौरान बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स ने 75418 का नया सर्वकालिक उच्च स्तर बनाया। वहीं एनएसई के निफ्टी ने कारोबार के दौरान पहली बार 23 हजार का आंकड़ा पार किया। मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि अब विदेशी निवेशकों के अंदर से चुनावी नतीजों को खौफ खत्म हो चुका है।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Published: Sat, 25 May 2024 11:30 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2024 11:30 PM (IST)
बीते सप्ताह FIIने सिर्फ 1,165 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की।

आईएएनएस, मुंबई। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बीते सप्ताह घरेलू इक्विटी बाजारों में मजबूती वापसी की है। इस कारण ही सप्ताह के दौरान बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स ने 75,418 का नया सर्वकालिक उच्च स्तर बनाया। वहीं, एनएसई के निफ्टी ने कारोबार के दौरान पहली बार 23 हजार का आंकड़ा पार किया।

बीते सप्ताह FIIने सिर्फ 1,165 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की। यह हाल के कुछ सप्ताहों में सबसे कम बिकवाली है। इससे पता चलता है कि विदेशी निवेशक घरेलू बाजारों में लौट आए हैं। इस अवधि में घरेलू निवेशकों ने बाजार में 6,977 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

लोकसभा चुनाव का असर?

बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, चुनावी स्थिति एक बार फिर धीरे-धीरे सत्तारूढ़ सरकार के पक्ष में बदल रही है। इससे FII की बड़े पैमाने पर बिक्री बंद हो गई है और वे हाल के दिनों में खरीदार भी बन गए हैं। जैसे-जैसे चुनाव के मोर्चे पर स्पष्टता आएगी, FII भारत में खरीदारी बढ़ा सकते हैं। इसका कारण यह है कि वे चुनाव बाद की तेजी से चूकने का जोखिम नहीं उठा सकते।

शेयर मार्केट में तेजी बनी रहेगी?

विशेषज्ञों के अनुसार, चुनाव परिणामों से पहले भी शेयर बाजारों में तेजी आ सकती है। डिपॉजिटरी के डेटा के अनुसार, मई में FII की कुल बिकवाली घटकर अब 22,046 करोड़ रुपये रह गई है जो 18 मई को समाप्त सप्ताह में 28,242 करोड़ रुपये थी। मई में अब तक डेट बाजारों में एफपीआई शुद्ध खरीदार बन गए हैं और अब तक 2,009 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं। अप्रैल में एफपीआई ने इक्विटी से 8,671 करोड़ और डेट बाजारों से 2,009 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।

इस बिकवाली की वजह शुरुआती चरण में कम वोटिंग को माना जा रहा था, जिससे विदेशी निवेशक चुनावी नतीजों को लेकर चिंतित हो गए थे।

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