Income Tax VS TDS: इनकम टैक्स और टीडीएस में क्या है अंतर, यहां समझें अपने काम की बात
क्या आप भी इनकम टैक्स (income Tax) और टीडीएस (Tax Deducted at Source) को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं। इन दोनों ही टर्म में अंतर है। एक वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति या संगठन की सालाना आय पर लगने वाले टैक्स को इनकम टैक्स कहा जाता है। व्यक्ति की आय के सोर्स अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें- सैलरी से लेकर प्रॉपर्टी पर मिलने वाला किराया शामिल होता है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप भी इनकम टैक्स (income Tax) और टीडीएस (Tax Deducted at Source) को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं। इन दोनों ही टर्म में अंतर है। इस आर्टिकल में इन दोनों ही टर्म के बीच अंतर को समझाने की कोशिश कर रहे हैं-
आयकर यानी इनकम टैक्स क्या है
एक वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति या संगठन की सालाना आय पर लगने वाले टैक्स को इनकम टैक्स कहा जाता है। व्यक्ति की आय के सोर्स अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें- सैलरी से लेकर प्रॉपर्टी पर मिलने वाला किराया शामिल होता है।
किस को चुकाना होता है इनकम टैक्स
एक वित्त वर्ष में अगर किसी व्यक्ति या संगठन की सालाना आय 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे कर चुकाना पड़ेगा। बता दें, कर चुकाने के लिए आय की यह लिमिट पुरानी कर व्यवस्था के हिसाब से है।
वहीं, नई कर व्यवस्था के मुताबिक, एक वित्त वर्ष में अगर किसी व्यक्ति या संगठन की सालाना आय 3 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे कर चुकाना पड़ेगा।
पुरानी कर व्यवस्था की बात करें तो 60 से 80 वर्ष की आयु के व्यक्ति के लिए आय की यह सीमा 3 लाख रुपये है। जबकि 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ लोगों के लिए आय की यही सीमा 5 लाख रुपये तय की गई है।
ये भी पढ़ेंः सैलरी वाले टैक्सपेयर हैं? ITR फाइल करते समय इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो फंस जाएगा रिफंड
टीडीएस क्या है
टीडीएस यानी स्रोत पर कर कटौती चोरी को रोकने का काम करता है। किसी व्यक्ति या संगठन को मिलने वाली सैलरी, ब्याज, किराया या प्रोफेशनल फीस देने से पहले ही तय राशि कर के रूप में काट ली जाती है।
यह राशि सरकार को तुंरत भेज दी जाती है। टीडीएस कर कलेक्ट करने को सरल बनाता है। इतना ही नहीं, कर चोरी को रोकने में यह उपयोगी साबित होता है।
ये भी पढ़ेंः ITR भरने से पहले चेक कर लें अपना एआईएस, गलती ठीक कराने का मिलेगा मौका