ग्रामीण सड़कों की जर्जर हालत पर देना होगा उम्मीदवारों का जवाब

लोक सभा चुनाव की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर चल रही है। राजनीतिक दल भी मतदाताओं को लुभाने में लगे हुए है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Apr 2019 11:41 PM (IST) Updated:Mon, 15 Apr 2019 11:41 PM (IST)
ग्रामीण सड़कों की जर्जर हालत पर देना होगा उम्मीदवारों का जवाब
ग्रामीण सड़कों की जर्जर हालत पर देना होगा उम्मीदवारों का जवाब

बगहा । लोक सभा चुनाव की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर चल रही है। राजनीतिक दल भी मतदाताओं को लुभाने में लगे हुए है। समीकरण चाहे जो बने-बिगड़े, पर आम लोगों के कुछ मुद्दे इस चुनाव में गंभीर तो है हीं। चौक-चौराहों के साथ चाय- पान की दुकानों पर भी प्रतिदिन जीत हार के समीकरण बन रहे हैं। जनता इस बार उम्मीदवारों के समक्ष सवालों का बौछार करने वाली है। भाजपा के जिलाध्यक्ष के गांव में जाने के लिए सड़क नहीं है। कई अन्य गांवों में भी जाने के लिए सड़कों की हालत अत्यंत जर्जर हो चुकी है। इस बार आधा दर्जन गांव के लोगों का एक ही सवाल है। आखिर कब बनेंगी ये सड़कें ? सड़कों की इस हालत के लिए जिम्मेदार कौन है? प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई इन सड़कों की जर्जर हालत को दूर करने की दिशा में राजनीतिक स्तर से कोई प्रयास पिछले पांच वर्ष में नहीं किए गए। भावल गांव निवासी प्रेम सिंह का कहना है कि सबुनी से भावल के रास्ते नहर तक जो सड़क बनाई गई है। उसमें गुणवत्ता का अभाव है। जिसको लेकर बनने के साथ ही सड़क टूटने लगी। कहा कि इसको लेकर अधिकारियों को आवेदन देकर गुणवत्ता जांच की मांग की गई थी। पर, अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं बहुअरी के रास्ते पंचरूखिया से होकर जाने वाली प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क पर भी अनियमितता का मामला पकड़ी गांव के निवासी देवेंद्र तिवारी ने सूचना के अधिकार के तहत 2014 में उठाया था। जिसके गुणवत्ता की जांच भी अधिकारियों ने की। जांच में अनियमितता का मामला सामने आया था। संवेदक से राशि वसूली करानी था। लेकिन, बाद में मामले को रफा-दफा कर दिया गया। ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता दरभंगी राम ने कहा कि सड़क के निर्माण के बाद पांच सालों तक इसके रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित संवेदक की होती है। सड़क निर्माण में अनियमितता का आरोप किसी के द्वारा लगाया जाता है और जांच में सही पाए जाने पर निर्माण कंपनी को काली सूची में डाल दिया जाता है। संबंधित कंपनी से उतनी राशि की वसूली करने का भी प्रावधान है। जिन सड़कों की पांच साल की अवधि पूरा हो गई है और उसकी हालत खास्ता हो गई है, प्राथमिकता के आधार पर संबंधित सड़क की मरम्मत कराई जाएगी। भावल एवं बेलौरा सड़क का निर्माण कराने वाली कंपनी को काली सूची में डाला गया है। आचार संहिता के बाद इस कार्य को पूरा कराया जाएगा। टेंपो चालक भी नहीं जाना चाहते भावल

भावल के शकील को हरिनगर स्टेशन पर पहुंचना जरूरी है। किसी तरह से एक टेंपो वाला रामनगर स्टेशन पहुंचाने के लिए तैयार हुआ । शकील को जल्दी है। टेंपो की रफ्तार तेज करने के लिए कहते है लेकिन सड़क की खस्ता हालत के कारण चालक टेंपो को तेजी के साथ नहीं चला पाया। आखिरकार जब शकील स्टेशन पहुंचे तब तक ट्रेन जा चुकी थी। चाह कर भी समय को रोक नहीं सकती है। स्टेशन पहुंचने पर उनकी ट्रेन छूट चुकी है। वे राजनीतिज्ञों को मन भर कोसे और फिर चुपचाप घर चले गए। यह समस्या सिर्फ शकील की नहीं है। रामनगर - भावल पथ से आवाजाही करने वाला हर व्यक्ति सड़क की जर्जर हालत से परेशान है। बेलौरा जाने वाली सड़क भी खस्ताहाल

बेलौरा निवासी सुदामा महतो को अस्पताल में पहुंचना है। किसी रिश्तेदार की तबियत खराब है। वह अस्पताल में भर्ती है। वे बाइक से हैं। रास्ता इतना जर्जर की रामनगर बेलौरा सड़क पर तेजी से वाहन को नहीं चला सकते है।करीब तीन चार साल पहले बनी सड़क में इतने गड्ढे है कि चाह कर भी कोई तेजी से वाहन नहीं चल सकता है। जब वे अपने मरीज से मिलने गए तबतक उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। अब उन्हें बेतिया जाना पड़ा। रामनगर- बेलौरा पथ से आवाजाही करने वाले आधा दर्जन गांव के लोगों में इस सड़क की जर्जर हालत को लेकर आक्रोश है। वे जनप्रतिनिधियों से सवाल करने को आतुर भी हैं।

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