किसान मनोरमा ने वैशाली का बढ़ाया मान

सुरेश कुमार चौबे, लालगंज : राजेन्द्र केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं निदेशक ने लालगंज की

By Edited By: Publish:Thu, 29 Jan 2015 11:59 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jan 2015 11:59 PM (IST)
किसान मनोरमा ने वैशाली का बढ़ाया मान

सुरेश कुमार चौबे, लालगंज : राजेन्द्र केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं निदेशक ने लालगंज की एक महिला किसान को सम्मानित किया है। लालगंज अगरपुर गांव की महिला किसान मनोरमा देवी ने यह सम्मान हासिल कर अपने प्रखंड व जिले की महिलाओं का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

कृषि वैज्ञानिकों ने उन्हें यह सम्मान उत्कृष्ट कृषि कार्य एवं मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं को जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिया है।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर में आयोजित भव्य समारोह के दौरान कुलपति डा. आरके मित्तल तथा निदेशक डा. जेपी उपाध्याय ने कर्मठ महिला किसान को प्रशस्ति पत्र, शील्ड तथा चेक प्रदान किया। अगरपुर गांव की रहने वाली मनोरमा गांव की सुशिक्षित महिला है। घर का कार्य करते हुए उन्होंने खेती-बारी की ओर कदम बढ़ाया। गांव के एक सभ्रांत परिवार से आने वाली मनोरमा के लिए यह सहज नहीं था। रूढ़ीवादिता, परंपरा और सामाजिक वर्जनाओं से बंधे परिवार को उन्होंने इसके लिए राजी किया। पहले घर-आंगन के आसपास अपनी जमीन में पशुपालन और कृषि कार्य करना शुरु किया। शुरूआत में समाज ने उनके घर का चौखट लांघने के लिए टीका-टिप्पणी की। उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए उन बातों की परवाह नहीं की। उनकी मेहनत रंग लाई। घर-गृहस्थी की हालत में आमूल-चूल परिर्वतन दिखने लगा। माली हालत सुधरते देख पास-पड़ोस की महिलाएं महिलाएं उनकी ओर उन्मूख होने लगी। अपने साथ महिलाओं को उन्होंने खेती-बारी के तौर-तरीके सिखाने के साथ उन्हें कृषि कार्य के लिए प्रेरित करना शुरु किया। उनसे जुड़ कर अन्य महिलाएं भी स्वावलंबन की राह पकड़ ली। पारंपरिक खेती के बजाए अच्छी आमदनी के लिए खुद और दूसरे महिला-पुरूषों से मशरूम का उत्पादन करना शुरु किया। फिलवक्त गांव और आसपास के 1200 महिला-पुरुष मशरूम उत्पादन में लगे है। उन्हें इसके लिए घर से बाहर खेतों में नहीं जाना पड़ रहा है। घर के आसपास पड़ी बेकार जमीन में शेड खड़ा कर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। मनोरमा की काबिलियत का ही कमाल है कि तैयार मशरूम को बेचने के लिए माथापच्ची नहीं करनी पड़ती। व्यापारी खुद इसे अच्छा दाम देकर खरीद ले जाते हैं वहीं महिलाएं मशरूम से तरह-तरह का व्यंजन बनाना भी सीख गयी हैं। तैयार व्यंजन हाथों-हाथ बाजार में बिक जा रहा है। गांव और आसपास पढे़-लिखे बेरोजगार युवक एवं युवतियां मनोरमा को मैनेजमेंट गुरु मान रखा है। उनसे मिले गुरूमंत्र को धरातल पर उतार कर न केवल नौकरी, रोजगार न मिल पाने की निराशा दूर कर ली है बल्कि परिवार को खुशहाल बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। गांव से निकाल कर मनोरमा की ख्याति कृषि वैज्ञानिकों तक पहुंची। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक मनोरमा के कार्य को सराह चुके हैं। उनकी पहल पर पूसा कृषि वैज्ञानिकों ने भी लालगंज का दौरा किया था। उनके काम का इनाम देने तय किया। वह घड़ी भी आ गयी। मनोरमा को मिले सम्मान से पूरा गांव गदगद है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि मनोरमा ने अपनी उपलब्धियों से किसान और कृषि का मान बढ़ाते हुए गांव, प्रखंड और अपने जिले का नाम रोशन किया है।

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