अस्तित्व की व्यवस्था को समझे बिना पृथ्वी पर मानव का रहना असंभव

करजाईन बाजार से गुरुवार की शाम में मोटरसाइकिल लेकर भागने वाले तीन अपराधियों को करजाईन थाना पुलिस ने बाइक सहित गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान करजाईन थाना क्षेत्र के पदुमनगर निवासी अभिषेक मेहता एवं प्रतापगंज थाना के सितुहर निवासी अखिलेश यादव एवं दौलतपुर निवासी सुमन कुमार यादव के रूप में हुई है। इस संबंध में पीड़ित करजाईन थानाक्षेत्र के सीतापुर निवासी अशोक पासवान ने थाने में दिए आवेदन में बताया कि रविवार की शाम में वह नेशनल कोचिग सेंटर के पास अपनी बाइक खड़ी कर किसी का इंतजार कर रहा था।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 12:44 AM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 06:42 AM (IST)
अस्तित्व की व्यवस्था को समझे बिना पृथ्वी पर मानव का रहना असंभव
अस्तित्व की व्यवस्था को समझे बिना पृथ्वी पर मानव का रहना असंभव

-प्रकृति में सबका आचरण निश्चित, मानव का अनिश्चित -पृथ्वी स्वर्ग हो, मानव देवता हो उद्घोषणा के साथ मनाया गया पृथ्वी दिवस फोटो फाइल नंबर-22एसयूपी-1 जागरण संवाददाता, सुपौल: अस्तित्व की संपूर्ण व्यवस्था को समझे और साथ जीए बिना पृथ्वी पर मानव का रहना असंभव है। मानव को अस्तित्व की सभी अवस्थाओं मानव, परिवार, समाज, प्रकृति व अस्तित्व को समझ कर संबंधपूर्वक साथ जीने की आवश्यकता है। तभी मानव अपने मूल लक्ष्य सुख, समृद्धि की निरंतरता को पाकर पृथ्वी पर सुख, शांति, संतोष और आनंदपूर्वक जी सकता है, इसलिए आज पृथ्वी दिवस के अवसर पर जीने देना ही जीना है अर्थात जीने दो और जीओ को समझना और जीना ही मानव की मूलभूत आवश्यकता और जीवन मंत्र है। पृथ्वी दिवस के अवसर पर यह संवाद जिला मुख्यालय में गजना चौक स्थित एक शैक्षणिक संस्थान में विद्यार्थियों के सामने आया। ग्राम्यशील के मानवीय मूल्य शिक्षा प्रबोधक चंद्रशेखर ने कहा कि प्रकृति के नियम का विरोध ही दुख है। इस सत्य के साथ किसी महापुरुषों, वैज्ञानिकों, संतों आदि का विरोध नहीं है। प्रकृति स्वयं व्यवस्था है। संपूर्ण अस्तित्व की व्यवस्था में दो ही इकाई हैं जड़ और चैतन्य। जड़ इकाई की रचना को समझने के लिये परमाणु, अणु, अणुपिड को समझकर संपूर्ण पदार्थावस्था को समझना आसान है। अणु व अणुपिड में ताप, दाब, नमी से भौतिक और रसायनिक क्रियाओं द्वारा पेड़-पौधे आदि प्राणावस्था रूप में, पशु-पक्षी जीवावस्था रूप में, जिसमें मस्तिष्क अविकसित होता। पूर्ण विकसित रूप में मात्र मानवीय मस्तिष्क है, इसलिये यह ज्ञानावस्था का रूप है। इसलिये मानव ही संपूर्ण अस्तित्व और उसके परस्पर संबंध को जानकर समझदार हो सकता है। प्रबोधक द्वारा विद्यार्थियों के साथ एक अभ्यास के दौरान देखा गया कि प्रकृति की सभी अवस्थाओं में पदार्थ, प्राण, जीव-जन्तु जहां अपने आचरण में निश्चित होकर हमारे लिये सहयोगी या पूरकता का कार्य करते, वहीं मानव का आचरण अनिश्चित होने के कारण वह स्वयं समस्या केंद्रित होकर पूरे विश्व के सामने समस्या खड़ा करता। इसलिए पृथ्वी दिवस के अवसर पर समझदार और जिम्मेदार होकर पृथ्वी स्वर्ग हो, मानव देवता हो। धर्म सफल हो, नित्य शुभ हो। उद्घोषणा के साथ आज के कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में अमन कुमार चौधरी, मनीषा, अंजली, नैना, कोमल, सुजाता, दिव्यम, आशीष कुमार, श्याम किशोर, रामाशीष कुमार, नीतीश, मनीष आदि ने चर्चा में भाग लिया।

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