कहीं असमय बाली, कहीं खेती पीछे

सिवान। धान की फसल सूखे की चौपट में आकर चौपट होने के बाद रबी से उम्मीदें लगाए कई प्रखंडों के

By Edited By: Publish:Wed, 10 Feb 2016 03:01 AM (IST) Updated:Wed, 10 Feb 2016 03:01 AM (IST)
कहीं असमय बाली, कहीं खेती पीछे

सिवान। धान की फसल सूखे की चौपट में आकर चौपट होने के बाद रबी से उम्मीदें लगाए कई प्रखंडों के किसानों को रबी की फसल भी दगा देने वाली है। कई क्षेत्रों में समय से पहले ही बाली आ गई। तो कहीं अनुदानित बीज पर भरोसे ने ऐसी चोट पहुंचाई है कि रबी की फसल को लेकर उम्मीदें धराशाई होने की ओर हैं। कहीं असमय दाने से संकट है तो कहीं गेहूं की फसल इतनी पिछात हो गई कि फसल मारे जाने के आसार हैं।

दोनों स्थितियों से जूझ रहे किसानों के पास संकट से उबरने का उपाय नहीं दिख रहा। दरौली और मैरवा प्रखंडों की सीमा एक-दूसरे से लगती होने के बावजूद दोनों प्रखंडों में अलग-अलग स्थितियां किसानों को रुला रही हैं।

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो बुआई के लगभग 90 दिन बाद ही बाली निकलनी चाहिए। लेकिन दरौली प्रखंड मुख्यालय के आसपास के कई गांवों में गेहूं जमने के कुछ दिन बाद ही बाली आनी शुरू हो गई है। किसानों का कहना है कि पैक्स की दुकान से वेरायटी-500 किस्म के गेहूं की बुआई की थी। इस वेरायटी की जिन-जिन लोगों ने बुआई की, सबके खेतों की हालत एक जैसी है।

दरौली के किसान सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय ने बताया कि पैक्स की दुकान से ही उन्होंने उक्त वेराइटी का बीज लिया था। खेती भी नवंबर में ही कर ली थी। किसानों का कहना है कि इस वेरायटी में गेहूं जमने को लेकर भी शिकायतें रहीं। लेकिन बुआई के कुछ ही हफ्तों में ही बाली निकलनी शुरू हो गई है।

प्रखंड कृषि पदाधिकारी विक्रमा मांझी ने बताया कि उन्होंने कई किसानों के खेतों का अवलोकन किया है। प्रखंड के किसान सलाहकारों व कृषि समन्वयक को निर्देश दिया गया है कि वे असमय बाली निकल आने की रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

दरौली से लगते ही मैरवा प्रखंड के विभिन्न गांवों में किसानों की पीड़ा और गहरी है। प्रखंड के सेमरा पंचायत में एक दर्जन किसानों के समक्ष बीज के दगा देने से समस्या खड़ी हो गई है। प्रखंड के सेमरा निवासी दुर्गा प्रसाद, बच्चा प्रसाद, राजमुनि हरिजन, हरेन्द्र प्रसाद, देवमुनी देवी जैसे किसानों का कहना है कि उन्होंने अनुदानित गेहूं बीज डीबीडब्ल्यू-17 की बुआई की थी। लेकिन गेहूं जम ही नहीं पाया। लंबे इंतजार के बाद उन्हें फिर से बुआई करनी पड़ी। इससे पहले ही देर हो गई खेती और पीछे चली गई। इसका उत्पादन पर असर तय है।

प्रखंड कृषि पदाधिकारी जनार्दन प्रसाद यादव ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि कई किसानों ने उन्हें अपनी पीड़ा बताई है। जांच कराई जा रही है। साथ ही मुख्यालय को रिपोर्ट भी भेजी जाएगी।

कहते हैं अधिकारी

इस बार दिसंबर-जनवरी का तल्ख मौसम असमय बाली आने का बड़ा कारण रहा है। फिर भी वेरायटी की जांच कृषि विशेषज्ञों से कराई जाएगी। भगवानपुर हाट से गेहूं न जमने की शिकायत के बाद बुआई के समय ही वेरायटी बदल दी गई थी। मैरवा से शिकायत नहीं मिली। बीएओ से रिपोर्ट मांगेंगे।

- राजेंद्र कुमार वर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी, सिवान।

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