बिथान के लोगों को सीएम ने दी दोहरी सौगात

बिथान प्रखंड के फुहिया घाट पर उच्च स्तरीय पुल निर्माण कार्य का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा मंगलवार को किए जाने से लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Nov 2018 11:07 PM (IST) Updated:Tue, 06 Nov 2018 11:07 PM (IST)
बिथान के लोगों को सीएम ने दी दोहरी सौगात
बिथान के लोगों को सीएम ने दी दोहरी सौगात

समस्तीपुर । बिथान प्रखंड के फुहिया घाट पर उच्च स्तरीय पुल निर्माण कार्य का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा मंगलवार को किए जाने से लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। अपनी दुर्गम भौगोलिक स्थिति तथा बाढ़ प्रभावित इलाका होने के कारण बिथान प्रखंड शुरू से ही काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता रहा है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने भी सलहा चंदन- फुहिया बांध बनाने का सपना देखा था। लेकिन उनके समय में यह कार्य नहीं हो सका। स्थानीय विधायक राजकुमार राय के अथक प्रयास से सलहा चंदन-फुहिया करेह तटबंध कार्य की स्वीकृति कराई। लगभग 11 करोड़ की लागत से उच्च स्तरीय पुल का कार्य शुरू हो गया है। यह पुल हसनपुर विधानसभा के बिथान प्रखंड के लिये लाइफलाइन साबित होगा। इस महत्वपूर्ण पुल के शिलान्यास स्थल पर आयोजित सभा के संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दर्जिया-फुहिया बांध पर एक और उच्चस्तरीय पुल बनाने का घोषणा कर बिथान प्रखंड के लोगों को दोहरी सौगात दी। मुख्यमंत्री ने सभा मंच पर ही मौजूद ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव विनय कुमार को आगामी 26 जनवरी 2019 से पूर्व कार्य की स्वीकृति लेने का आदेश दिया। बता दें कि बिथान प्रखंड के बाढ़ से घिरे रहने वाले चार पंचायत के लोगों के लिए यह फुहिया पुल एक वरदान साबित होगा। साथ ही दरभंगा, कुशेश्वरस्थान, अलौली, खगड़िया, सहरसा, नेपाल तक यात्रा करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे इलाके में व्यवसायिक समृद्धि आएगी। करेह नदी के बाढ़ से घिरे रहने वाले चार पंचायत के करीब पचास हजार लोगों को बिथान प्रखंड मुख्यालय और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने में काफी सहूलियत होगी। करेह,कमला एवं कोसी नदी के संगम स्थल पर सलहा चंदन-फुहिया पुल का निर्माण होने से यहां के लोगों का संपर्क जिला मुख्यालय से भी जुड़ जाएगा। इतना ही नहीं चार पंचायत के किसानों की तकदीर बदल जाएगी। क्योंकि रास्ता के अभाव में औने-पौने दर पर किसानों को अनाज बेचना पड़ता था।

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