एकबार फिर जिदगी को पटरी पर लाने की कवायद में जुटे परिवार

सहरसा। बाढ़ पीड़ितों को एकबार फिर अपनी जिदगी को पटरी पर लाने की चिता सताने लगी है। दरअसल कोसी नदी से हुए कटाव के कारण नदी में आशियाना और जमीन के समा जाने के बाद तटबंध पर पहुंच रहे हैं। जिन लोगों के घर पानी से बह गए वे परेशान हैं कि घर को फिर से कैसे तैयार किया जाए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 05:57 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 05:57 PM (IST)
एकबार फिर जिदगी को पटरी पर 
लाने की कवायद में जुटे परिवार
एकबार फिर जिदगी को पटरी पर लाने की कवायद में जुटे परिवार

सहरसा। बाढ़ पीड़ितों को एकबार फिर अपनी जिदगी को पटरी पर लाने की चिता सताने लगी है। दरअसल कोसी नदी से हुए कटाव के कारण नदी में आशियाना और जमीन के समा जाने के बाद तटबंध पर पहुंच रहे हैं। जिन लोगों के घर पानी से बह गए, वे परेशान हैं कि घर को फिर से कैसे तैयार किया जाए। अपने घर की जमीन पर पहुंच रहे हैं तो उन्हें तबाही का मंजर नजर आने लगे हैं जहां अभी कोसी की मुख्यधारा बह रही है।

केदली पंचायत के छतवन गांव में सुंदर यादव, सीता देवी, रामचंद्र यादव का फूस का घर बह गया है। घर ध्वस्त हो जाने के बाद विवश होकर इस परिवार ने रिश्तेदार के यहां शरण लिया, परंतु, कोसी ने यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। रिश्तेदारों के घर भी पानी घुस गया तो वे लोग घर छोड़ जान बचाने को दूसरी जगह चले गए। इन परिवारों के पास न खाने को अनाज बचा है ना सिर छुपाने को घर। नदी के प्रकोप ने इन्हें लाचार बना दिया है। रामजी यादव घर में रखे सारे समान और अनाज एवं मवेशी के लिए रखा भूसा एवं अन्य सामग्री पानी में डूबकर बर्बाद हो गया है। हालांकि पीड़ित परिवार एक बार फिर अपने आशियाने को संवारने में जुट गए हैं। इसके अलावा इनके पास कोई दूसरा चारा भी नहीं है। बांस के खंभों और जाफरी के सहारे फिर से घर खड़ा करने की कवायद में जुट गए हैं। पूछने पर कहते हैं कि सरकार की ओर से कुछ नहीं मिला है। पॉलीथिन तो दूर, सौ ग्राम चूड़ा देने वाला भी कोई नहीं है।

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