सतगुरू नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानन होआ..

पूर्णिया। सतगुरू नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानन होआ..की गूंज के साथ गुरुनानक देव की 547वीं जयंती

By Edited By: Publish:Wed, 25 Nov 2015 09:13 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2015 09:13 PM (IST)
सतगुरू नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानन होआ..

पूर्णिया। सतगुरू नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानन होआ..की गूंज के साथ गुरुनानक देव की 547वीं जयंती धूमधाम से मनायी गई। इस अवसर पर गुरुद्वारा में शबद कीर्तन का आयोजन किया गया। इस मौके पर गुरुद्वारा को दुल्हन की तरह सजाया गया था। श्राद्धालुओं का तीन दिनों से गुरुद्वारा में तांता लगा था। सभी गुरुद्वारा में माथा टेकने पहुंच रहे थे। आपको बता दें गुरुनानक जयंती के अवसर पर गुरुद्वारा में तीन दिनों तक उत्सव मनाया जाता है। सभी एक दूसरे को प्रकाशोत्सव की बधाई दे रहे थे। इस मौके पर सभी बड़े बच्चे नये परिधानों में गुरुद्वारा में पहुंचे और अरदास में हिस्सा लिया। गुरुनानक जयंती को प्रकाश उत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। इसे दिन को गुरुमासी भी कहते हैं। इस मौके पर गुरुद्वारा में सरदार संत ¨सह ने अखंड पाठ समाप्त किया जो तीन दिनों से चल रहा था। सरदार गुरु चरण वेलौरी वाले ने चोला पहना कर शबद कीर्तन किया। वहीं गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी लक्ष्मण ¨सह वेदी ने भजन कीर्तन गया और गुरुग्रंथ साहब का पाठ किया। इस मौके पर खास तौर पर आये दिल्ली से कीर्तनी जत्था गुरुनाथ ¨सह और ईश्वर ¨सह ने गुरुनानक के जीवन पर प्रकाश डाला जिसे सुनकर पूरी संगत मंत्रमुग्ध हो गई। उसके बाद इस उत्सव के दौरान सेवा देने वाले सेवादारों को सिरोपा भेंट किया गया। उसके बाद अरदास और लंगर का आयोजन किया गया जो शाम तक चलता रहा। बुधवार की सुबह से ही गुरुद्वारा में लोगों की भीड़ जुटनी शुरु हो गई थी जो शाम तक चलती रही। सभी ने वहां चलने वाले गुरुवाणी को सुना और लंगर में शामिल हुए। गुरुद्वारा में सभी सम्प्रदाय के लोग पहुंचे और माथा टेका।

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