बिहारः रेल यात्री ध्यान दें, 4 से 5 घंटे विलंब से चलने वाली ट्रेन अब पहुंच रही समय से पूर्व

कोरोना काल में भले ही कई चीजें अस्त-व्यस्त हो गई हों लेकिन भारतीय रेल अब समय पालन में लगातार वचनबद्ध होती दिखाई दे रही है। ट्रेन अब समय से पहले ही स्टेशन पर पहुंच जा रही है। ऐसे में उन्हें यहां अतिरिक्त ठहराव दिया जा रहा है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 05:46 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 05:46 PM (IST)
बिहारः रेल यात्री ध्यान दें, 4 से 5 घंटे विलंब से चलने वाली ट्रेन अब पहुंच रही समय से पूर्व
भारतीय रेल अब समय पालन में लगातार वचनबद्ध होती दिखाई दे रही है।

जागरण संवाददाता, बक्सर : कोरोना काल में भले ही कई चीजें अस्त-व्यस्त हो गई हों लेकिन, भारतीय रेल अब समय पालन में लगातार वचनबद्ध होती दिखाई दे रही है। पहले कोटा से पटना जाने वाली कोटा-पटना हो या इस्लामपुर से नई दिल्ली जाने वाली मगध एक्सप्रेस हर ट्रेन विलंब से चला करती थी। कोटा-पटना जैसी ट्रेनें तो लेटलतीफी में रिकॉर्ड बनाया करती थीं। यही हाल हावड़ा से चलकर अमृतसर तक जाने वाली हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस, हावड़ा-अमृतसर मेल, भागलपुर से चलकर सूरत तक जाने वाली भागलपुर-सूरत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों का भी था लेकिन, कोरोना काल में यह तस्वीर बदल गयी है। ट्रेन अब समय से पहले ही स्टेशन पर पहुंच जा रही है। ऐसे में उन्हें यहां अतिरिक्त ठहराव दिया जा रहा है।

दरअसल, भारत की जीवन रेखा कही जाने वाली भारतीय रेलवे अपनी लेटलतीफी के लिए विख्यात है। यहां ट्रेनों की लेटलतीफी इस बात इस बात से नहीं आंकी जाती है कि ट्रेन कितने विलंब से चल रही है बल्कि, यह देखा जाता है कि ट्रेन अपने अंतिम गंतव्य पर कब तक पहुंचती है। ऐसे में 10-15 मिनट तो आम बात है ट्रेनें 10 से 15 घंटे तक विलंब से चलने का रिकॉर्ड बनाती हैं। माना जाता है कि रेलवे लेटलतीफी से ज्यादा सुरक्षित यात्रा के विषय पर फोकस करता है लेकिन, कोरोना काल में रेलवे ने ट्रैक मेंटेनेंस से लेकर अन्य कई ऐसे कार्य भी किए हैं जो सुरक्षित परिचालन के लिए जरूरी हैं।

कोहरे के कारण ज्यादा विलंब से चलती है ट्रेन

आमतौर पर मौसम की खराबी के कारण ट्रेन अत्यधिक विलंब से चलती हैं। कोहरे के समय में तो ट्रेन कई कई घंटे विलंब से चलती है। इतना ही नहीं कई बार तो ट्रेनों को रद्द भी कर दिया जाता है। इसके साथ ही लंबी दूरी से आने वाली ट्रेन भी अक्सर लेटलतीफी का शिकार होती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। 

पूर्व मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी पृथ्वीराज बताते हैं कि कोरोना वायरस काल में सिगनङ्क्षलग सिस्टम को दुरुस्त किया गया। इंटरलॉङ्क्षकग सिस्टम से अब स्टेशन मैनेजर एक जगह बैठे-बैठे ही परिचालन संबंधित सारे ऑपरेशन कर सकते हैं। पहले एक केबिन से दूसरे केबिन तक संदेश भेजना पड़ता था लेकिन, अब ऐसा नहीं है। पहले लीवर मैन होते थे लेकिन अब सारा सिस्टम बटन का हो गया है। जिससे समय की बचत के साथ ही सुरक्षा सिस्टम भी मजबूत हुआ है।

ट्रेनों की स्पीड बढ़ाए जाने से भी हुआ लाभ

उन्होंने बताया कि कोरोना काल में ट्रैक मरम्मत के कार्य को तेजी से पूरा किया गया। जिसके बाद ट्रेनों की गति को बढ़ा दिया गया। पटना से चलकर नई दिल्ली तक जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस समेत कई गाडिय़ों की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़ा कर 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से कर दी गई। निश्चित रूप से इससे समय की बचत हो रही है। ऐसे में ट्रेन ससमय चल रही हैं तथा यात्रियों को समय से गंतव्य तक पहुंचा रही हैं।

ट्रेनों की गति बढ़ने के साथ सुरक्षित परिचालन भी सुनिश्चित

पूर्व-मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी पृथ्वी राज ने कहा कि कोरोना काल के खाली समय का उपयोग तकनीक को उन्नत करने तथा ट्रैक आदि के मेंटेनेंस के लिए किया गया। ट्रेनों की गति बढ़ने के साथ ही सुरक्षित परिचालन भी सुनिश्चित हुआ। जिसका सीधा लाभ रेल यात्रियों को मिल रहा है।

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