PSLV -C 34 के प्रोजेक्ट को तराशने में शामिल रही बिहार की भी मेधा ...जानिए

बिहार की मेधा को पूरी दुनिया मानती है। उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी 34 के जरिए जिन 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है उसकी डिजायन में भी बिहार की मेधा शामिल है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Thu, 23 Jun 2016 09:01 AM (IST) Updated:Thu, 23 Jun 2016 04:24 PM (IST)
PSLV -C 34 के प्रोजेक्ट को तराशने में शामिल रही बिहार की भी मेधा ...जानिए

पश्चिम चंपारण [मनोज कुमार राव]। श्रीहरिकोटा से बुधवार को उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी 34 के जरिए जिन 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया, उनके डिजाइन तैयार करने में बेतिया के लालमणि की भी भूमिका रही। वे वर्तमान में तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में अंतरिक्ष विज्ञानी हैं। वे स्ट्रक्चरल विभाग की एनालिसिस विंग में कार्यरत हैं।

लालमणि शिक्षा घोटालों के दलदल में फंसे बिहार में पनपे व पले-बढ़े वह 'मेधा' हैं, जिन्होंने सूबे को सम्मान दिलाया है। वर्ष 2014 में मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को तलाशने के लिए जिस मंगलयान को भेजा गया था उसका डिजायन तैयार करने में भी उनकी खास भूमिका रही।

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वीणा देवी व अवध किशोर प्रसाद सिन्हा के पुत्र लालमणि मूलत: मुजफ्फरपुर जिले के वासी हैं। पिता रेलवे में वरीय पदाधिकारी थे। अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

लालमणि ने बेतिया के केआर स्कूल से वर्ष 1984 में 10वीं पास की। इसके बाद टीएनबी कॉलेज, भागलपुर से इंटर की पढ़ाई की। वर्ष 1992 में पटना इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज से इंजीनियङ्क्षरग की डिग्री ली। वर्ष 2001 में आइआइटी कानपुर से एमटेक की पढ़ाई की। फिर विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में योगदान दिया। वे पंद्रह साल से इसरो की स्ट्रक्चरल विंग की गतिविधियों में सक्रिय हैं।

वह अनमोल समय था

लालमणि ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि केआर विद्यालय व छात्रावास में बिताया गया चार साल का समय अनमोल था। वह क्षण हमेशा जेहन में रहता है। शीघ्र ही केआर आने की कोशिश करूंगा। वे मित्रों व शिक्षकों को याद करते हैं।

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केआर स्कूल के प्राचार्य फादर किस्टोफर केरकेट्टा ने कहा कि स्कूल के लगभग सौ साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि यहां के छात्र ने इसरो में योगदान देकर देश व बिहार को गौरवान्वित किया। हमें लालमणि की उपलब्धियों पर गर्व है।

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