पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: PUSU अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज का निर्वाचन वैध
हाईकोर्ट ने पटना विश्वविद्यालय के नवनिर्वाचित अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसके निर्वाचन को वैध बताया है। साथ ही पीजी कोर्स में नामांकन को भी वैध बताया।
style="text-align: justify;">पटना [जेएनएन]। पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित दिव्यांशु भारद्वाज को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट नेे उनके निर्वाचन को वैध ठहराया है। न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की पीठ ने इस मामले पर कई बार सुनवाई करने के बाद बुधवार को यह फैसला दिया।
बताते चलें कि पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने दिव्यांशु के न केवल निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया था बल्कि एमए राजनीतिक शास्त्र में हुए उनके नामांकन को भी रद कर दिया था। निर्वाचन को अवैध करने के पीछे यह तर्क दिया गया था कि उसने एक ही सत्र में दो विश्वविद्यालय से समांतर कोर्स में नामांकन ले लिया था। निर्वाचित अध्यक्ष ने पटना विश्वविद्यालय के साथ साथ हिमालयन विवि में भी नामांकन ले रखा था।
इस पर मामले पर सुनवाई करने वाले कोर्ट को कहना था कि यदि उसने ऐसा किया था तो पहले उसे नोटिस दी जानी चाहिए थी। नोटिस के जवाब की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी। विश्वविद्यालय ने ऐसा नहीं कर प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया। जबकि याचिकाकर्ता के वकील अनिल कुमार सिन्हा का कहना था कि दिव्यांशु ने एमए में अध्ययनरत होने के आधार पर नामांकन भरा था। उसने अपने बारे में कुछ नहीं छिपाया।
अधिवक्ता नेे यह भी कहा कि जिस तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा वीसी को नामांकन रद करने का प्रस्ताव भेजा गया था, उस कमेटी का गठन वैधानिक तरीके से नहीं हुआ था। जबकि पटना विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव का कहना था कि निर्वाचन को वैध तरीके से ही रद किया गया था।
बताते चलें कि पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने दिव्यांशु के न केवल निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया था बल्कि एमए राजनीतिक शास्त्र में हुए उनके नामांकन को भी रद कर दिया था। निर्वाचन को अवैध करने के पीछे यह तर्क दिया गया था कि उसने एक ही सत्र में दो विश्वविद्यालय से समांतर कोर्स में नामांकन ले लिया था। निर्वाचित अध्यक्ष ने पटना विश्वविद्यालय के साथ साथ हिमालयन विवि में भी नामांकन ले रखा था।
इस पर मामले पर सुनवाई करने वाले कोर्ट को कहना था कि यदि उसने ऐसा किया था तो पहले उसे नोटिस दी जानी चाहिए थी। नोटिस के जवाब की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी। विश्वविद्यालय ने ऐसा नहीं कर प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया। जबकि याचिकाकर्ता के वकील अनिल कुमार सिन्हा का कहना था कि दिव्यांशु ने एमए में अध्ययनरत होने के आधार पर नामांकन भरा था। उसने अपने बारे में कुछ नहीं छिपाया।
अधिवक्ता नेे यह भी कहा कि जिस तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा वीसी को नामांकन रद करने का प्रस्ताव भेजा गया था, उस कमेटी का गठन वैधानिक तरीके से नहीं हुआ था। जबकि पटना विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव का कहना था कि निर्वाचन को वैध तरीके से ही रद किया गया था।