पटना की सेहत थोड़ी सुधरी, थोड़े और की जरूरत

मध्यम स्तर के सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों को सुविधाओं की है दरकार। पीएमसीएच में मरीजों की भीड़ को देखते हुए ही सरकार ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल बनाने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है।

By Ashish MaharishiEdited By: Publish:Tue, 03 Jul 2018 02:02 AM (IST) Updated:Mon, 02 Jul 2018 08:22 PM (IST)
पटना की सेहत थोड़ी सुधरी, थोड़े और की जरूरत

स्वस्थ जीवन व्यक्ति के लिए नेमत है। स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। लोगों को रोगों से बचाना और बीमार होने पर बेहतर उपचार सुविधा मुहैया कराना सरकार और समाज की जिम्मेदारी है। यूं तो राजधानी पटना के तमाम सरकारी-निजी अस्पताल मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन बेहतर सुविधाओं के लिए आधारभूत संरचना का अभाव है।

सरकार अपने संस्थानों के विकास के साथ-साथ मेदांता, रिलायंस जैसे बड़े निजी अस्पतालों को भी यहां आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। स्वस्थ समाज के लिए न केवल अत्याधुनिक सुविधायुक्त अस्पतालों का बल्कि योग, व्यायाम, साधना केंद्रों का भी विकास करने की जरूरत है।

मरीजों की तुलना में संसाधन कम

राजधानी के बड़े अस्पतालों में राज्य के कोने-कोने से मरीज इलाज कराने आते हैं। सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 2500 से 3000 मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां इमरजेंसी में भी हर दिन करीब दो से तीन सौ मरीज भर्ती किए जाते हैं।

पीएमसीएच में मरीजों की इस भीड़ के समानुपात में सुविधाओं में वृद्धि करना अपरिहार्य हो गया है। फिलहाल यहां वार्डों में 1700, इमरजेंसी में 100 और सभी आइसीयू में मिलाकर 80 बेड हैं।

5000 बेड का होगा पीएमसीएच

पीएमसीएच में मरीजों की भीड़ को देखते हुए ही सरकार ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल बनाने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। योजना के अनुसार 2030 तक पीएमसीएच 5000 बेड का अस्पताल हो जाएगा। तीन चरणों में इसका विस्तार किया जाएगा। इस साल के अंत तक काम शुरू हो जाएगा। इससे काफी आसानी होगी।

इमरजेंसी में सौ बेड बढ़ाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। साल के अंत तक पीएमसीएच की इमरजेंसी में 200 बेड हो जाएंगे। अस्पताल में आइबैंक एवं किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा भी बहाल होने जा रही है।

हृदय रोग के लिए अलग व्यवस्था

सूबे में हृदय रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसे देखते हुए पीएमसीएच के एक हिस्से में हृदय रोगों के लिए समर्पित एक अलग संस्थान इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आइजीआइसी) की स्थापना की गई। बेहतर सुविधाओं के साथ निशुल्क इलाज का लाभ लेने नेपाल, झारखंड और बंगाल तक से मरीज आते थे।

रोगियों की संख्या के अनुपात में करीब आठ वर्ष पूर्व नया भवन बनवा कर सुविधाएं बढ़ाने की कवायद शुरू हुई थी। दो वर्ष में तैयार होने वाला भवन आज तक अधूरा है। इससे यहां अत्याधुनिक उपचार के संसाधनों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।

आइजीआइएमएस में लिवर और हार्ट प्रत्यारोपण जल्द

पीएमसीएच के बाद राजधानी का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) है। एम्स की तरह यह एक स्वायत्त संस्थान है। यहां रियायती दर पर सामान्य से लेकर गंभीर रोगों का उपचार किया जाता है। ओपीडी के साथ यहां सुपर स्पेशियलिटी इलाज की भी सुविधा है। अस्पताल अगले दो माह में लिवर प्रत्यारोपण की सुविधा भी मुहैया कराने की तैयारी में है।

वर्तमान में कई मरीज लिवर प्रत्यारोपण के लिए सूबे से बाहर जाते हैं। अस्पताल में अगले माह से बाईपास सर्जरी प्रारंभ होने वाली है। आइजीआइएमएस में वर्तमान में 500 बेड हैं। जल्द ही इसे 1000 बेड का अस्पताल बनाने की दिशा में काम चल रहा है। इससे राज्य के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

कार्निया और किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा

आइजीआइएमएस में अभी कार्निया एवं किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा है। ओपीडी में प्रतिदिन करीब 2000 मरीज आते हैं।

एम्स पटना में बाईपास होने से मिलेगी राहत

राज्य सरकार के दो बड़े अस्पतालों के अलावा केंद्र सरकार द्वारा स्थापित एम्स पटना भी ओपीडी की सेवा दे रहा है। इस साल के अंत में इमरजेंसी की सुविधा भी मिलने लगेगी। एम्स पटना की इमरजेंसी सुविधा शुरू होने से कई गंभीर मरीजों को अकाल मृत्यु से बचाया जा सकेगा। अभी गंभीर रोगी दिल्ली एम्स की ओर ताकते हैं। पटना एम्स में बाईपास की सुविधा शुरू होने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। वर्तमान में हर माह सूबे के पांच मरीजों का बाईपास हो रहा है।

मध्यम स्तर के सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों को सुविधाओं की दरकार

बड़े अस्पतालों के अलावा मुख्यमंत्री ने राजधानी में चार मध्यम स्तर के सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल भी विकसित किए हैं। मधुमेह और अन्य हार्मोनल रोगों के लिए न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, हड्डी एवं जोड़ रोगों के लिए राजवंशीनगर अस्पताल, नेत्र संबंधी रोगों के लिए राजेंद्रनगर अस्पताल एवं स्त्री एवं प्रसूति रोग और चर्म रोगों के लिए गर्दनीबाग अस्पतालों को बेहतर बनाने की दिशा में सतत कार्य चल रहा है।

 फिलहाल इन अस्पतालों की ओपीडी में 1000 से 1200 मरीज प्रतिदिन आते हैं। इन अस्पतालों में चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ आधारभूत संरचना भी बढ़ाने की जरूरत है, ताकि मरीजों को स्वस्थ काया प्रदान की जा सके।

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