दिलों तक पहुंचने को नीतीश ने चुने तीन रास्ते

'फिर एक बार नीतीश कुमार', यह एक ऐसा नारा है जो जनता के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तेज ब्रांडिंग के लिए उछाला गया है। 'द नेम इज द गारंटी'(नाम खुद ही जमानत है) की तर्ज पर यह नारा उनके पिछले दस सालों के प्रदर्शन पर आधारित है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Mon, 22 Jun 2015 12:53 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jun 2015 01:05 PM (IST)
दिलों तक पहुंचने को नीतीश ने चुने तीन रास्ते

पटना [एसए शाद]। 'फिर एक बार नीतीश कुमार', यह एक ऐसा नारा है जो जनता के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तेज ब्रांडिंग के लिए उछाला गया है। 'द नेम इज द गारंटी'(नाम खुद ही जमानत है) की तर्ज पर यह नारा उनके पिछले दस सालों के प्रदर्शन पर आधारित है।

मगर, नीतीश कुमार इस नारे को एक हकीकत बनाने के लिए इस विधानसभा चुनाव में नए अंदाज में दिखेंगे। भले ही कोई इसे राजनीति में गणित के प्रयोग का उनका अलग स्टाइल कहे, मगर वह अपने चुनावी अभियान को 'वेल कलकुलेटेड' रखेंगे, बिल्कुल गणित के फार्मूले की तरह। वह मतदाताओं के दिलों तक तीन अलग-अलग रास्ते से पहुंचने की कोशिश करेंगे।

लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के थ्री-डी प्रोजेक्टर से लेकर मोबाइल फोन से हुए प्रचार अभियान का असर देख चुके नीतीश कुमार 'लोहे को लोहे से काटने' की सोच चुके हैं। उनके चुनावी 'जोड़-घटाव' का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन घंटे में तीस लाख घरों पर दस्तक देने का उन्होंने कार्यक्रम बनाया है।

यह कार्यक्रम किसी और की सहायता से नहीं बल्कि प्रशांत किशोर की मदद से तैयार किया गया है। वही प्रशांत किशोर जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का प्रचार अभियान डिजाइन किया था।

दरअसल, पिछले दस सालों की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाने के यह चुनाव प्रचार अभियान त्रि-स्तरीय बनाया गया है। पहला लेवल तो नीतीश कुमार सहित जदयू के सभी वरिष्ठ नेता होंगे जो जनता के बीच आम सभा करेंगे।

जुलाई के दूसरे सप्ताह से नीतीश कुमार खुद विधानसभावार दौरा आरंभ करेंगे। इससे पहले 24 जून से 30 जून तक पार्टी इन उपलब्धियों को लेकर बने पर्चों के साथ गांवों में चौपाल लगाएगी। भाजपा के 'चाय पर चर्चा' की तरह चौपालों में 'पर्चा पर चर्चा' कार्यक्रम आयोजित होगा।

दूसरा लेवल पार्टी का वह कार्यक्रम है जिसके जरिए प्रदेश में कम से कम तीन करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य है। 2 जुलाई से 31 जुलाई तक चलने वाले इस कार्यक्रम में हर गांव में एक जदयू कार्यकर्ता दस घरों पर दस्तक देगा।

दस हजार कार्यकर्ता एक साथ यह काम शुरू करेंगे और तीन घंटे में तीस लाख घरों तक पहुंचने का उन्हें लक्ष्य दिया गया है। जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद के मुताबिक, पार्टी 50-60 लाख लोगों के बीच अभी अपनी पहुंच बनाए है, जिसे हम तीन करोड़ तक बढ़ाना चाहते हैं।

कार्यकर्ताओं में जोश और लोगों के बीच माहौल बनाने के लिए पार्टी का संदेश सभी कार्यकर्ता अपने मोबाइल फोन पर ङ्क्षरग टोन के रूप में रखेंगे। पार्टी के नारे एवं कार्यक्रमों को कालर ट्यून के रूप में भी रखकर प्रचारित किया जाएगा।

हालांकि जदयू यह विधानसभा चुनाव राजद के साथ गठबंधन में लड़ेगा, और कांग्रेस एवं राकांपा भी साथ रहेगी, लेकिन नीतीश कुमार का यह प्रचार अभियान इन दलों के साथ नहीं चलेगा।

साथ ही इसे सूबे के सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक समान चलाया जाएगा। जनता की ओर से पूछे जाने वाले संभावित सवालों पर भी पार्टी ने वर्क आउट कर लिया है। पार्टी का मानना है कि जदयू के सत्ता में रहने के कारण 'एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर' भी होंगे, जिन्हें पिछले दस सालों की उपलब्धियों से कुंद करने की कोशिश होगी।

तीसरा लेवल सोशल मीडिया होगा। जदयू का प्रचार अभियान ट्विटर एवं फेसबुक पर जोरदार ढंग से चलेगा। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। यह इस कारण भी कि सूबे के 65 प्रतिशत मतदाता ऐसे हैं जिनकी आयु 18-35 वर्ष है। खुद नीतीश कुमार का मानना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव में युवाओं तक अपनी पहुंच बनाने में कामयाब रही थी।

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