पटना : इस IPS ने अपराधियों के साथ दोषी पुलिसकर्मियों को भी दी सजा

आइजी नैय्यर हसनैन खान कहते हैं कि नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पुलिसकर्मियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Wed, 15 Aug 2018 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 15 Aug 2018 06:00 AM (IST)
पटना : इस IPS ने अपराधियों के साथ दोषी पुलिसकर्मियों को भी दी सजा

नैय्यर हसनैन खान 1996 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं और फिलहाल पटना सेंट्रल रेंज के आइजी हैं। वे लखनऊ के मूल निवासी हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद खान ने सिविल सेवा परीक्षा पास की और बिहार कैडर के आइपीएस अधिकारी बने। 

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शुरुआती पोस्टिंग में ही नक्सलियों के खिलाफ अभियान से अपनी पहचान बनाई। पुलिस एनकाउंटर में नक्सलियों के कई बड़े चेहरे मारे गए। इसके बाद बक्सर में खान की तैनाती हुई। तब वहां मादक पदार्थों की तस्करी चरम पर थी। तैनाती के कुछ माह में ही उनकी कार्रवाई से मादक पदार्थों का व्यापार जड़ से समाप्त हो गया। बतौर पटना एसएसपी चर्चित किसलय अपहरण कांड के अभियुक्त को एनकाउंटर में मार गिराया और बच्चे को सही सलामत परिवार को सौंपा।

नेपाल भूकंप में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिला पुरस्कार
वर्ष 2013 में भारत सरकार के डेप्यूटेशन पर नैय्यर हसैन खान दिल्ली में एसएसबी के डीआइजी और फिर लखनऊ में एसएसबी के आइजी बने। नेपाल में 2016 में आए भयंकर भूकंप में उत्कृष्ट कार्य के लिए डीजी एसएसबी गोल्डन अवॉर्ड से उन्हें सम्मानित किया गया। अप्रैल 2016 में नैय्यर खान की फिर बिहार वापसी हुई।

बालू माफिया के खिलाफ चलाया अभियान

पटना में आइजी की जिम्मेदारी मिलते ही सरकार ने बालू माफिया के खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा सौंपा। एसआइटी गठित कर बालू खनन करने वाले एजेंसी के खिलाफ ही केस दर्ज हुआ और आइजी के निर्देश पर एक दर्जन से अधिक बालू माफिया जेल भेजे गए। इसमें तीन थानेदार सस्पेंड हुए और एक दर्जन से अधिक पोकलेन जब्त किए गए।

किसी को नहीं बख्‍शा
न सिर्फ अपराधियों बल्कि दोषी पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की। बाजार समिति निवासी अजय खत्री के मकान पर पुलिस की मदद से दबंगों ने कब्जा कर लिया और पुलिस ने पीडि़त दंपति को ही फर्जी केस में जेल भेज दिया। बात आइजी तक पहुंची।
उन्होंने पूरे मामले की जांच का निर्देश दिया। थानेदार और केस का आईओ दोषी मिला। दोनों को सस्पेंड कर विभागीय जांच का निर्देश दिया गया। कुछ दिन बाद ही पीडि़त परिवार को उनका आशियाना मिल गया। इसी तरह, अगमकुआं थाने से मुफ्त में सब्जी नहीं देने पर नाबालिग सब्जी विक्रेता को जेल भेजने के मामले में पूरा अगमकुआं थाना ही नाप दिया। दो थानेदार समेत एक दर्जन पुलिसकर्मी सस्पेंड किए गए। नाबालिग भी जेल से बाहर आ गया।

वायरल वीडियो देख खुद कराया केस
आम तौर पर वायरल वीडियो मामले में जब तक शिकायत न मिले पुलिस कार्रवाई नहीं करती। दो माह पूर्व जोनल आइजी नैय्यर हसनैन खान को सूचना मिली कि गया, जहानाबाद और नौबतपुर में तीन वीडियो वायरल हुए है, जिसमें दो में नाबालिग से गैंगरेप और एक में कुछ लोग युवती से छेड़छाड़ करते दिख रहे हैं।
आइजी ने वायरल वीडियो की जांच कराई। फिर संबंधित तीन थानेदार को पुलिस के बयान पर केस दर्ज कराने का निर्देश दिया। साइबर सेल की मदद से पुलिस ने न केवल आरोपितों की गिरफ्तारी की, बल्कि पीडि़ता को भी खोज निकाला। पुलिस के पास इस मामले में सिर्फ वीडियो था।
जांच में आरोपितों की भाषा पहचान हुई और सड़क से गुजर रही एक बाइक नंबर से पुलिस घटनास्थल तक पहुंची। साइबर क्राइम के मामले में पुलिस के लिए बड़ी सफलता थी।

तकनीक, विशेष ट्रेनिंग और आतंरिक सुरक्षा पर जोर
जोनल आइजी नैय्यर हसनैन खान कहते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्र और नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पुलिसकर्मियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। नक्सलियों के फाइनेंसियल ठिकाने पर चोट पहुंचाया जा रहा है। आतंरिक सुरक्षा को लेकर चुनौतियां बहुत है। बोधगया ब्लास्ट के बाद तकनीक को मजबूत किया गया है।

हाल ही में सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट से बचने के लिए बिहार पुलिस ने बड़ा कदम उठाया है।तीन लेवल पर साइबर सेनानी समूह बनाया जाएगा। ये समूह व्हाट्सएप पर काम करेगा। इस पहल से सोशल मीडिया पर अफवाह और अविश्वसनीय मैसेज को फैलने से रोका जा कसता है।

-नैय्यर हसनैन खान
(जोनल आइजी)

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